मैंने, जब पहली बार आर माधवन की फिल्म रॉकेट्री द नंबी इफेक्ट का ट्रेलर देखा था, उस वक़्त से मुझे यही महसूस हुआ कि अगर किसी इंसान पर कोई फिल्मकार यह ब्यौरा उठाता है कि उन्हें बायोपिक फिल्म बनानी है, तो इतनी ही शिद्दत और ईमानदारी दिखाएं, जैसी आर माधवन ने दिखाई है, जिन्होंने इस फिल्म को एक ऑथेंटिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, शारीरिक मेहनत से लेकर फैक्ट्स के साथ, उन्होंने इस फिल्म में वह सबकुछ देने की कोशिश की है, जो एक बायोपिक फिल्म में होनी चाहिए। ऐसे में आर माधवन ने इस फिल्म को लेकर उनकी जो जर्नी रही है, उस पर विस्तार से बातचीत की है, साथ ही कुछ और पहलुओं पर भी अपनी बात रखी है। आर माधवन की इस फिल्म की कहानी साइंटिस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर नम्बी नारायणन की जिंदगी पर आधारित है।
मेरे लिए अद्भुत है कहानी
आर माधवन ने आमतौर पर बनने वाली बायोपिक फिल्मों से अलग इस फिल्म में बहुत मेहनत की है। वह 18 घंटे तक एक ही कुर्सी पर बैठे रहे हैं, तो अपना वजन बढ़ाने से लेकर दांत तुड़वाने तक भी बहुत कुछ किया है। उन्होंने इस वीडियो में भी इस बारे में बात कही है।
इस बारे में वह विस्तार से बताते हैं
मेरा लुक नेचुरल है और फिल्म में मेरा लुक बिना किसी प्रोस्थेटिक्स के बनाया गया है! मैंने इस लुक को जीवंत करने के लिए 18 घंटे कुर्सी पर बिताए। चाहे उनके बाल हों, दांत हों या वजन, मैंने कोशिश की है कि मैं जितना परफेक्शन दे पाऊं। मैं बस इसे रॉ रखना चाहता था। दरअसल, मैंने अपने दांत भी तुड़वाये हैं और बहुत ज्यादा वजन भी बढ़ाया है। इस फिल्म के आइडिया की बात करूँ तो मैं विक्रम विधा करने के बाद, कोई यशराज टाइप की फिल्म करने के मूड में था। मेरे एक मित्र ने मुझे बताया कि यह इसरो वैज्ञानिक कहानी है जो बहुत सुंदर थी और उसे मालदीव की एक महिला से प्यार हो गया। बाद में कहा गया कि उसने पाकिस्तान को रॉकेट सीक्रेट्स बेच दिए। बाद में उन्हें पकड़ लिया गया और जेल में डाल दिया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया, पूछताछ की गई और लगभग मार डाला गया। वह जेल से बाहर आने में कामयाब रहा और सीबीआई के पास गया और साबित किया कि वह निर्दोष था और सभी दावे झूठ थे। मैंने कहा कि यह एक अच्छे गरीब आदमी की जेम्स बॉन्ड जैसी कहानी है, जिसमें एक अच्छे दिखने वाले इसरो वैज्ञानिक को मालदीव की एक महिला से प्यार हो गया है। हम जेम्स बॉन्ड जैसी अच्छी और छोटी फिल्म बना सकते हैं। इसी इरादे से मैं नंबी नारायणन से मिलने त्रिवेंद्रम चला गया। उस दिन से लेकर आज तक आप एक बदले हुए माधवन को देखेंगे। उनके चेहरे की चमक और उनके बात करने के तरीके से मुझे एहसास हुआ कि हम कुछ बहुत अच्छा याद कर रहे थे। इस आदमी को सिर्फ इस मामले के लिए नहीं जाना जा सकता है। दुर्भाग्य से लोग उसके बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। और मैं इस कहानी को बनाने में लग गया।
बेटे को दी है लोकप्रियता को सिर पर नहीं चढ़ने देने की सलाह
आर माधवन के बेटे वेदांत माधवन ने देश का मान बढ़ाया है, माधवन ने उनके बारे में बात करते हुए दिलचस्प बातें कही। बेटे वेदांत माधवन ने हाल ही में डेनिश ओपन में पुरुषों की 800 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्धा में अलेक्जेंडर एल ब्योर्न को उनके घर में 0.10 सेकेंड के अंतर से हराकर गोल्ड जीता.
आर माधवन इस बारे में कहते हैं
वेदांत में वह डेडिकेशन रहा है, वह हर दिन लगभग आठ सालों तक चार बजे उठ जाता था, ऐसे में मुझे खुद लगा कि उसका अगर इस तरफ इंट्रेस्ट है, तो उसको बढ़ावा देना चाहिए। ऐसे में उसने स्विमिंग को गंभीरता से लिया और आज ये मुकाम हासिल किया। मैं उससे जब भी एक्टर बनने की बात करता हूँ, तो वह मुझे कहता है स्विमिंग पर फोकस करने दो पापा। वैसे मैंने उसे यह भी समझाया है कि शोहरत और सफलता में क्या अंतर होता है। आपने अभी ओलंपिक्स नहीं जीता है। हो सकता है कि कॉमन वेल्थ में जाकर आपको ब्रॉन्ज ही मिले, लेकिन मैंने उसे समझाया है कि इसमें कन्फ्यूज नहीं होना है। लोकप्रियता काफी सीमित समय के लिए होती है, इसलिए इसको दिमाग पर नहीं चढ़ाना है। अपनी स्विमिंग पर और अधिक ध्यान देना है। लेकिन उसने जिस तरह से जीत हासिल की है, एक पिता होने के नाते बहुत गर्व होता है।
शाह रुख ने खुद हिस्सा बनने के बारे में कहा
आर माधवन कहते हैं कि शाह रुख ने जब उनसे जीरो के सेट पर इस फिल्म का हिस्सा बनने की बात कही थी, उस वक़्त उन्हें यह बात मजाक लगी थी।
वह विस्तार से बताते हैं
मैंने जब जीरो फिल्म की शूटिंग के दौरान उनके जन्मदिन पर विश किया, उन्होंने कहा कि वह इस फिल्म में कुछ करना चाहते हैं। मैंने उन्हें थैंक यू कहा। उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में सीरियस हूँ। फिर मैं वहां से चला गया। दो दिन बाद, मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि कम से कम थैंक यू तो कह दो शाह रुख को, उन्होंने ऐसे हौसला अफजाई की। मैंने उनकी मैनेजर को मेसेज किया और कहा कि अच्छा लगा कि शाह रुख ने ऐसा कहा। फिर शाह रुख की मैनजर ने फोन किया और कहा कि वह वाकई में फिल्म का हिस्सा बनना चाहते हैं। मैंने उनसे कहा आप मुझे सिर्फ दिलासा दे रहे हैं, यह मेरी पहली निर्देशित फिल्म है। उनकी मैनेजर ने कहा कि आप डेट्स बताओ, वह आ जायेंगे। फिर जिस दिन वह नम्बी नारायण से मिले, उनकी आँखों में मैंने उनके लिए जो सम्मान देखा, मुझे समझ आया कि वह फिल्म का हिस्सा क्यों बनना चाहते थे।
वाकई, जिस तरह से आर माधवन ने इस फिल्म पर मेहनत की है, मैं तो दिल से चाहूंगी कि ऐसी कहानियों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए ,ऐसे में फिल्म 1 जुलाई 2022 को रिलीज होने जा रही है और मैंने तो फिल्म फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने की योजना बना ली है।