अब तक आयुष्मान खुराना ने अपने करियर में जो भी फिल्में की हैं, दर्शकों को हैरान ही किया है। उनके किसी भी किरदार की अनदेखी नहीं की जा सकती है, उन्होंने सोशल टैबू पर फिल्में बना कर, अपने लिए एक माहौल तैयार किया है कि आज उनकी फिल्में आयुष्मान खुराना काइंड ऑफ़ सिनेमा कहलाती हैं। इस साल आयुष्मान खुराना ने इंडस्ट्री में दस साल पूरे कर लिए हैं। मुझे याद है आयुष्मान के शुरुआती दिन थे, मैं उनका इंटरव्यू कर रही थी, वह काफी बेचैन थे, क्योंकि एक बड़े प्रोडक्शन हॉउस का कॉल उन्होंने मिस कर दिया था, एक वह दिन था, एक आज का दिन है, जब आयुष्मान ने अब तक उस बड़े प्रोडक्शन हॉउस में काम नहीं करने के बावजूद एक मुकाम हासिल कर लिया और इस मिथ को भी तोड़ा कि न्यू कमर्स को जब तक बड़े प्रोडक्शन का साथ न मिले, वह कामयाब नहीं होते हैं। आयुष्मान ने अपनी कामयाबी के लिए रास्ते खुद चुने हैं, इसलिए वह अपने कंटेम्पररी स्टार्स से काफी आगे हैं। ऐसे में एक बार फिर से वह एक अहम फिल्म ‘अनेक ‘ लेकर आ रहे हैं, जो नॉर्थ ईस्ट के लोगों से होने वाले भेदभाव को दर्शाती है। आयुष्मान ने इस फिल्म के बारे में और कई मुद्दों पर विशेष बातचीत की है, मैं यहाँ उसके अंश शेयर कर रही हूँ।
दस साल वाली बैच खास रही है मेरे लिए
आयुष्मान खुराना कहते हैं कि उनके इंडस्ट्री में दस साल बेमिसाल रहे हैं और इनके लिए वह साल खास खास रहे हैं, वजह वह खुद विस्तार से बताते हैं।
वह कहते हैं
जब मैंने विक्की डोनर से वर्ष 2012 में शुरुआत की थी, वह साल फिल्म इंडस्ट्री के लिए बेहद खास रहा था, क्योंकि इस साल मेरे साथ कई स्टार्स ने डेब्यू किया था, जिनमें अर्जुन कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा, परिणीति चोपड़ा, आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसे नाम शामिल हैं और हिंदी सिनेमा के इतिहास में ऐसा संयोग कम होता है कि जो भी लांच हुए, सभी की फिल्में कामयाब रहीं, इससे पहले ऐसा नहीं हुआ था, तो हमारी आपस में काफी बॉन्डिंग हो गई थी, हम अवार्ड्स शोज में एक दूसरे के लिए जाते थे, एक दूसरे के साथ जाते थे, चीयर्स करते थे और एक दूसरे की सफलता की कामना करते थे, एक वार्मथ था, जो कमाल का था, वैसा वार्मथ शायद वेटरन्स में भी नहीं था, इसलिए मैं उसे स्पेशल मानता हूँ, हम सभी में अब भी वार्मथ है वो। जहाँ तक बात है स्क्रिप्ट्स की तो, मुझे काफी अच्छी और एक्साइटिंग स्क्रिप्ट्स मिली, नए डायरेक्टर्स नयी कहानी लेकर आये और सभी ने मेरे काम को सराहा, मेरा एक जॉनर बना, तो मैं बेहद संतुष्ट हूँ, अपने दस साल के सफर से।
वह आगे कहते हैं
एक तरह का जॉनर बना है मेरा। अच्छी और एक्ससाइटिंग स्क्रिप्ट मिली है, हर एक की यात्रा होती है, 2012 काफी खास साल था, मैंने अर्जुन कपूर, आलिया भट्ट, वरुण धवन, सिद्धार्थ मल्होत्रा, परिणीति सभी ने एक साथ डेब्यू किया था। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था और सबकी फिल्में चली थी, ये बैच मेरे लिए खास है, एक्टर में वेटरन्स में नहीं होती थी, अभी भी बॉन्डिंग है। आगे पीछे की बात करूँ तो मैं उस तरह से नहीं देखता हूँ।
वह स्टारडम के बारे में आगे कहते हैं
मैंने धीरे-धीरे इन दस सालों में यह जरूर सीख लिया है कि कुछ भी परमानेंट नहीं है, स्टारडम आज है, कल नहीं। सफलता और विफलता दोनों ही परमानेंट नहीं है।
अनेक है अहम मुद्दा
आयुष्मान मानते हैं कि नॉर्थ -ईस्ट मुद्दे को लेकर अब तक फिल्म में उन्हें सेंटर में रख कर इस मुद्दे को नहीं उठाया गया था, हमने उसी विषय पर बात करने की कोशिश की है अनेक में। अनेक एक पोलिटिकल ड्रामा है और इसे उसी रूप में देखना बेहतर होगा। हम और अनुभव सर हमेशा कुछ न कुछ विषय पर बात करते रहते हैं और हमारी यही कोशिश है कि हम कहानी कहें, इस बार हमारे जेहन में यह कहानी आयी और हमने कही है, जो कि एक अहम मुद्दा है, अपने ही देश में क्यों नॉर्थ ईस्ट के साथ आउटसाइडर सा बिहेव होता है, हमने उसे दर्शाने की कोशिश की है।
कॉलेज के दिनों में भी देखा है नॉर्थ -ईस्ट वालों के साथ भेदभाव
आयुष्मान कहते हैं कि जब वह कॉलेज में थे, तब उन्होंने अपने दोस्तों के बीच इस चीज को देखा है।
वह बताते हैं
मेरे बैंड में एक लड़का था, वह नॉर्थ ईस्ट से था, वह मुझे मयांग कहता था, जिसका मतलब होता है, आउटसाइडर तो मैंने एक बार पूछा कि आखिर मुझे ऐसा क्यों बोलते हो, उसने कहा, आप भी तो हमको आउटसाइडर ही मानते हो, तो हम भी उसी नाम से बोलेंगे, तो उस वक़्त मैंने पहली बार उनके दर्द को महसूस किया, बाकी तो इस फिल्म के माध्यम से काफी कुछ देखने को मिला, जैसे मुझे एक बात बेहद अच्छी लगी और यूनिक लगी वहां की कि वहां महिलाएं पुरुषों से अधिक एक्टिव और स्ट्रांग हैं। पूरे नॉर्थ ईस्ट में महिलाओं का दबदबा है, इससे ज्यादा प्रोग्रेसिव बात और क्या होगी और यह विडंबना है कि हम उन्हें इग्नोर करने की लगातार कोशिश करते हैं, जबकि ये बातें तो मिसाल के रूप में सामने आनी चाहिए, मेरी माँ भी बर्मा से हैं और उन्होंने मुझे बताया था कि तुम्हारी नानी दुकान चलाती थी, तो उस वक़्त मुझे ये बात खास बड़ी नहीं लगती थी, लेकिन अब मैं यह बात समझ पा रहा हूँ कि इस बात में कितना दम छुपा हुआ है।
फिल्मों के माध्यम से अपना नजरिया रखूंगा
आयुष्मान खुराना ने यह भी साफ कहा है कि वह अपने व्यूज को अपनी फिल्मों के माध्यम से प्रेजेंट करेंगे।
वह कहते हैं
मेरा हमेशा से मानना है कि मैं एक रिस्पोन्सिबल आर्टिस्ट बनूँ, मैं ट्वीट के जरिये या किसी जरिये से अपने बात रखने की कोशिश नहीं करता हूँ, मैं अपनी फिल्मों से सबकुछ दर्शाना चाहता हूँ। अक्सर लोग बात करते हैं कि फिल्म जब आती है, तब तक बात होती है, फिर आर्टिस्ट बात नहीं करते, लेकिन ऐसा नहीं है, मैं अब भी जातिवाद के बारे में काफी कुछ पढ़ता रहता हूँ, जानने की कोशिश करता रहता हूँ। आर्टिकल 15 के बाद, एलजीबीटी कम्युनिटी के बारे में भी पढ़ता रहता हूँ।
हम एक भाषा पर निर्भर रह नहीं सकते
आयुष्मान का मानना है कि इसकी विविधता जितनी इसकी ताकत है, उतनी ही कमजोरी भी है।
वह आगे विस्तार से कहते हैं
हमारे देश का स्वरूप अलग है, इसकी विविधता ही इसकी ताकत बनती है और कभी-कभी कमजोर भी बना देती है। यही वजह है कि हम कभी भी एक ही भाषा पर निर्भर नहीं कर सकते हैं। ये वो देश नहीं है, जहाँ एक भाषा पर निर्भर हो सकें, हम नहीं कर सकते हैं, यहाँ हर भाषा महत्वपूर्ण हैं, मुझे लगता है कि बचपन से जिसको हिंदी बोलनी नहीं आती है और आप उनको अचानक से बोलोगे, हिंदी बोलने, तो मुश्किल है। यह प्रैक्टिकल ही नहीं। हर भाषा को सम्मान देना चाहिए, जैसे हमने साउथ की फिल्मों को अपना लिया है तो उनकी भाषा को भी अपना लिया है। हम किसी एक भाषा को पेडस्ट्रल पर नहीं रख सकते हैं।
जोया अख्तर, रोहित शेट्टी की फिल्में करने की है चाहत
आयुष्मान खुराना कहते हैं कि उनकी अब भी कुछ विश लिस्ट है, जो पूरी नहीं हुई है।
वह कहते हैं
मुझे जोया अख्तर और रोहित शेट्टी जैसे निर्देशकों के साथ काम करना है, उन्होंने अब तक मुझे कुछ ऑफर नहीं की है, लेकिन मैं करना चाहता हूँ, मुझे मसान वाले नीरज घेवान के साथ भी काम करना है। संजय लीला भंसाली के साथ भी मैं काम करना चाहता हूँ।
सच कहूँ, तो आयुष्मान ने जो पहचान स्थापित की है, वह कमाल है, एक आउटसाइडर होकर, उन्होंने जो मुकाम अपने दम पर हासिल किया है, यह किसी के लिए भी आम बात नहीं है। मैंने गौर किया है कि उन्होंने अब तक केवल नए निर्देशकों के साथ ही काम किया है, ऐसे में उनका अपना एक जॉनर बन चुका है और उन्हें अनकन्वेंशनल हीरो बनाता है, धारा में रह कर भी सच कहूँ, तो वह एक नयी धारा की तलाश कर बैठे हैं, यही वजह है कि मेरी उम्मीदें फिल्म अनेक से भी काफी बढ़ गई हैं कि फिल्म दर्शकों को पसंद आनी चाहिए, अपने विचारों को लेकर आयुष्मान स्पष्ट हैं और बेबाक हैं, इसलिए फिल्म को लेकर भी वह पूरे विश्वास के साथ हैं, मुझे भी फिल्म देखने का बेसब्री से इंतजार है, मैं तो ‘अनेक ’27 मई 2022 को रिलीज होते ही देखने वाली हूँ।