इस रविवार मैं, यूं ही बिग बी यानी हम सबके प्यारे अमिताभ बच्चन के इंस्टाग्राम पोस्ट देख रही थी, क्योंकि उनके अभिनय की तरह ही उनके पोस्ट बिल्कुल अलहदा होते हैं। ऐसे में मैं जैसे-जैसे स्क्रॉल करती गई। मेरी दिलचस्पी दोगुनी होती गई, इसकी वजह यह रही कि मैंने उनके शुरुआती इंस्टाग्राम पोस्ट से लेकर, अब तक के पोस्ट खंगाल दिए और यकीन मानिए, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं एक मेमोरी लेन में चली गई हूँ, अमिताभ बच्चन ने इतनी शिद्दत से अपने कई पोस्ट में हिंदी सिनेमा के सुनहरे दिन और आज के दिनों से तुलना करते हुए, इतनी बारीकी से ऐसी कई चीजों के बारे में बताया है, जिससे मैं तो पूरी तरह इस बात को महसूस कर पा रही हूँ कि उस दौर में फिल्में बनाना इतना आसान भी नहीं रहा होगा, जब विजुअल इफेक्ट्स की दुनिया मशीन से नहीं दिमाग से चलते थे। साथ ही अमिताभ के पोस्ट में तब और अब वाले कई शूटिंग स्पॉट्स, मुझे पूरी तरह से मेमोरी लेन में ले गए। तो मैंने सोचा कि अमिताभ की यादों के उस पिटारे से क्यों न कुछ दिलचस्प बातें संजो कर आप तक पहुंचाऊं, जिससे आप भी उस दुनिया के कई दिलचस्प पहलू से रूबरू हो पाएं। सच कहूँ तो सोशल मीडिया, सेल्फी के इस दौर में मुझे अमिताभ के इन सभी पोस्ट में एक संवेदना नजर आयी, जो मेरे दिल को छू गयी। गौर करें, तो हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर का यह एक अनोखा विकिपीडिया सरीका है, जहाँ मुझे भी कई दिलचस्प और नयी बातें जानने को मिली हैं।
माँ तेजी से मिली है अमिताभ को फैशन सेन्स
अमिताभ ने अपनी माँ तेजी बच्चन के साथ भी एक बड़ी ही प्यारी तस्वीर 1950 के दौर की शेयर की है, जिसके साथ उन्होंने बताया है कि माँ तेजी बच्चन से ही उन्हें फैशन और स्टाइल सेंस मिला है। इस तस्वीर में अमिताभ ने जो सूट पहन रखा है, वह पहला सूट है, जो उनकी माँ ने ही डिजाइन किया था। सूट से लेकर टाई तक, माँ ने ही इसे बनाया था और अमिताभ ने इलाहबाद (अब प्रयागराज) के एक इवेंट में पहना था। जाहिर है कि यह अमिताभ के लिए सबसे अनमोल सूट में से एक रहा होगा।
मेरे पास आओ मेरे दोस्तों, ऋतिक रौशन को ढूंढो
अमिताभ बच्चन ने एक और बड़ी ही प्यारी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें ऋतिक रौशन भी नजर आ रहे हैं। ‘नसीब’ फिल्म का गाना मेरे पास आओ मेरे दोस्तों … वह पहला गाना था, जिसमें पहली बार अमिताभ ने अपनी आवाज दी थी। और रिहर्सल के दौरान, ऋतिक रौशन, अपने चाचा और म्यूजिक निर्देशक राजेश रौशन के साथ नजर आ रहे हैं, बड़े आराम से पालथी मार कर वह बैठे हैं।
‘गंगा की सौगंध’ से लेकर अब तक कितना बदल गया है ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला
अमिताभ बच्चन ने हाल ही में एक तस्वीर ऋषिकेश की शेयर की, जिसमें उन्होंने बताया कि जब वह ‘गंगा की सौगंध’ की शूटिंग कर रहे थे, तब केवल लक्ष्मण झूला था, अब राम और जानकी नाम के दो और झूले जुड़ गए हैं, उन्होंने यह भी बताया कि फिल्म का वह सीन, जिसमें अमिताभ ने झूले पर घोड़े को सरपट दौड़ाया था।
बिना वीएफएक्स वाला वह दौर और मनमोहन देसाई जैसे मास्टर का विजन
अमिताभ ने एक और बड़ी ही दिलचस्प तस्वीर फिल्म ‘नसीब ‘के क्लाइमेक्स की कुछ दिनों पहले शेयर की है, जिसमें मुंबई के चांदीवली स्टूडियो का जिक्र है, जहाँ कभी एक रोटेटिंग रेस्टोरेंट हुआ करता था, उन्होंने बताया है कि इस रोटेटिंग रेस्टोरेंट में एक्शन और ड्रामा सीन शूट किये गए हैं। यह सब कुछ मनमोहन देसाई जैसे निर्देशक का कारनामा हुआ करता था। 80 के दौर में जब कोई वीएफएक्स नहीं थे, कोई सीजी शॉर्ट्स नहीं हुआ करते थे। वाकई, मेरे लिए यह बेहद रोचक जानकारी है। मैं तो यही सोच कर हैरान हो रही हूँ कि उस दौरान के निर्देशकों और कलाकारों के लिए कैसे सबकुछ क्रिएट कर पाना मुश्किल रहता होगा, लेकिन मनमोहन देसाई जैसे निर्देशक और अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार इसे सार्थक बना दिया करते थे।
जब ऑटोग्राफ लेना भी नहीं होता था बच्चों का खेल
अमिताभ बच्चन ने एक प्यारे से फैन की तस्वीर शेयर कर, आज के दौर को उस दौर से तुलना करने की कोशिश की है, जब किसी फैन को अपने प्रिय सितारे के ऑटोग्राफ मिला करते थे, तो उनके चेहरे पर क्या स्माइल आया करती थी। अमिताभ ने लिखा है, अब के दौर में सिर्फ एक इमोजी से बात खत्म हो जाती है। वाकई, मैं भी तस्वीर में दिख रहे फैन की ख़ुशी को महसूस कर पा रही हूँ।
ये उन दिनों की बात है, जब चश्मा लगाने का मतलब आँखें खराब है समझ लेते थे लोग
अमिताभ ने और पोस्ट में इस बात का जिक्र किया है कि उस दौर में जब पब्लिक फंक्शन में इसे पहनना बेहद खास नहीं समझा जाता था, लेकिन अमिताभ को शुरुआती दौर से इसे पहनना पसंद रहा है, इसलिए वह खूब चश्मे पहना करते थे, उन्होंने इस बारे में भी बताया है कि लोगों को उस समय कई बार लगता था कि मेरी आँखें ख़राब हो गई हैं, इसलिए मैं ऐसा करता हूँ। वाकई, अब तो यह सुपर स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका है और हर स्टार इसे अपनाना पसंद करते हैं।
‘जलसा’ को अपना बनाने की कहानी
यह पोस्ट मेरे ख्याल से अमिताभ के लिए भी खास रहा होगा, क्योंकि इस पोस्ट में उन्होंने अपने घर की बात की है। इस तस्वीर में उन्होंने जया बच्चन के साथ अपनी फिल्म ‘चुपके-चुपके ‘की एक तस्वीर शेयर की है। लगभग 46 साल पहले की यह तस्वीर, अमिताभ के बंगले ‘जलसा’ की है, उन्होंने जलसा से जुड़ी एक दिलचस्प बात इसमें शेयर की है। उन्होंने बताया है कि ऋषिकेश मुखर्जी ने जब इस फिल्म की शूटिंग की थी, उस वक़्त यह घर निर्माता एनसी सिप्पी का था, बाद में अमिताभ ने इसे खरीदा, फिर इसे बेचा और फिर से इसे खरीदा और दोबारा अपना आशियाना बनाया और जिसका नाम ‘जलसा’ रखा। अमिताभ ने एक और दिलचस्प बात बताई है कि इस बंगले में कई फिल्मों की शूटिंग हुई है, जिनमें ‘आनंद,’ ‘नमक-हराम’, ‘चुपके-चुपके’, ‘सत्ते पे सत्ता ‘और ऐसी कई फिल्में शामिल हैं।
जब अमिताभ, मनमोहन देसाई के कहने पर बने ‘माइकल जैक्सन’
अमिताभ ने फिल्म ‘गंगा जमुना सरस्वती ‘ के लिए किस तरह से मनमोहन देसाई के कहने पर माइकल जैक्सन का रूप लिया था, उन्होंने इससे जुड़ी प्यारी तस्वीर शेयर की है। हालाँकि अमिताभ को ऐसा लग रहा है कि वह माइकल से मैच नहीं कर सकते, लेकिन मैं तो यहाँ कहना चाहूंगी कि मुझे तो अमिताभ हर स्टाइल में फिट ही लगते हैं, क्योंकि वह अपना कुछ न कुछ पर्सनल टच दे ही देते हैं।
जब स्टाइल कुछ ऐसा होता था खास
अमिताभ बच्चन की मेमोरी लेन में मुझे यह तस्वीर भी दिलचस्प लगी, जिसमें उन्होंने स्टाइल स्टेटमेंट की बात की है, जब फ्लेयर्ड ट्रॉउज़र ही नहीं, फ्लेयर्ड स्लीव्स भी पहना करते थे, इस अनोखे स्टाइल में भी सच कहूँ, तो अमिताभ बच्चन के एक अनोखा स्वैग नजर आ रहा है।
‘अमर, अकबर, एंथोनी’ ने उस दौर में किया था 7 . 25 करोड़ का बिजनेस, 25 हफ़्तों तक सिनेमाघरों में टिकी रही फिल्म
Aww !! सच कहूँ, तो इस तस्वीर को तो मैंने न जाने कितनी बार गौर से देखा है, इस तस्वीर में श्वेता और अभिषेक की क्यूटनेस ओवरलोड हो रही है। अमिताभ ने अपने पुराने पोस्ट में इसकी जानकारी दी है कि My name is Anthony Gonsalves… गाना, मुंबई के एक होटल में हुआ था। अमिताभ ने इसके बारे में एक दिलचस्प जानकारी यह भी दी है कि यह 70 का दौर था, और उस वक़्त इस फिल्म न 7 . 25 करोड़ का बिजनेस किया था। फिल्म 25 हफ्तों तक, मुंबई के 25 थिएटर में लगी रही थी। उस दौर की यह शानदार बिजनेस करने वाली फिल्मों में से एक रही।
‘शोले’ का वह ऐतिहासिक मोमेंट पूरे भारतीय सिनेमा के लिए
अमिताभ बच्चन ने जया बच्चन, अपनी माँ तेजी बच्चन, पिता हरिवंश राय बच्चन के साथ की यह बेहद खूबसूरत तस्वीर भी यादों के झरोखों से शेयर की है, जिसमें उन्होंने यह बताया है कि प्रीमियर के दिन उन्होंने 35 mm print में फिल्म देखी थी, क्योंकि 70mm Stereo sound print जो कि भारत में पहली बार आ रहा था, वह कस्टम में फंस गया था, फिर प्रीमियर के बाद कस्टम से बाहर आ पाया। और फिर यह पहली इंडियन फिल्म बनी, जो 70mm Stereo पर आयी। अमिताभ, विनोद खन्ना के साथ थियेटर की बालकनी में सुबह के तीन बजे तक बैठे थे, ताकि वह इसके शानदार रिजल्ट को देख पाएं। तो मेरा मानना है कि यह तस्वीर हिंदी सिनेमा के ऐतिहासिक दिन मोमेंट का भी गवाह रहा।
सेल्फी नहीं संवेदनाओं वाली तस्वीर
अमिताभ ने एक और बड़ी ही प्यारी तस्वीर अपने पिता हरिवंश राय बच्चन और बच्चे अभिषेक बच्चन और श्वेता बच्चन के साथ की शेयर की है, जिसमें वह खुद फोटोग्राफर हैं। इस तस्वीर में अमिताभ ने मोबाइल कैमरा के न होने के फायदे के बारे में बताया है, क्योंकि तब सिर्फ संवेदना ही नजर आती थी। यह तस्वीर भी वाकई, संजो कर रखने वाली है।
वाकई, मैं अमिताभ बच्चन की काम को लेकर उनकी आस्था और अनुशासन की तो हमेशा फैन रही ही हूँ, उनकी इस मेमोरी लेन में जाकर मुझे यह भी एहसास हुआ कि चीजों को संजो कर और सहेज कर रखना और उन्हें फिर यूं खूबसूरत शब्दों में बयां करना भी एक कला होती है और इस कला में अमिताभ बच्चन खूब माहिर हैं और उनसे यह गुण भी सीखने चाहिए। साथ ही इस मेमोरी लेन में जाकर, कई दिलचस्प बातें जानने का मौका तो मिला ही, यह भी महसूस किया मैंने कि हम किसी भागदौड़ के मायजाल में फंसे हुए हैं, ऐसे दौर में जब हर दूसरे पल रील्स बन रहे हैं, इन संवेदनाओं की सच्ची तस्वीर न सिर्फ सुकून देती है, बल्कि भारतीय सिनेमा से जुड़ी कई रोचक बातें भी सामने लाती है। मेरे लिए तो यह वाकई, अमिताभ के ये सारे पोस्ट खास रहेंगे।