ओटीटी की दुनिया में वर्तमान दौर के सुपरस्टार अजय देवगन का डेब्यू, अपने आप में अप्लॉज एंटरटेनमेंट की नयी पेशकश ‘रुद्र : द एज ऑफ़ डार्कनेस’ जैसी सीरीज की तरफ आकर्षित होने की एक बड़ी वजह काफी है। अजय देवगन ने इस सीरीज में वह सबकुछ है, जो मुझे लगता है कि अजय देवगन के उस मिजाज को पसंद करने वाले दर्शक, जिनको उन्हें इंटेंस लुक में देखना पसंद है, उनके लिए यह सीरीज बेहद खास होगी। अजय से वह ट्रेलर देखने के बाद, जैसी उम्मीद रख रहे होंगे, अजय ने उसमें कोई कसर नहीं छोड़ी है। पूरी सीरीज में वह केंद्र भूमिका में हैं। मैं अजय देवगन की कॉमेडी से अधिक उनके इंटेंस किरदारों को पसंद करती आई हूँ। खासतौर से, मुझे अजय की आँखों में वह बात नजर आती है, जो ऐसे थ्रिलर विषयों में आँखों से ही अभिनय कर जाती है। इस सीरीज में अजय पूरे फॉर्म में हैं। दिलचस्प यह है कि सीरीज पूरी तरह से ओरिजिनल लोकेशन पर शूट की गई है, जिसमें साउथ मुंबई की वह छवि उभर कर सामने आई है, जैसी मुंबई कम एक्सप्लोर हुई है। अजय देवगन की यह सीरीज एक ऐसे इंसान की कहानी है, जो अंधेरों का राजा है। मुंबई पुलिस की स्पेशल क्राइम यूनिट में डीसीपी रुद्र प्रताप सिंह बने अजय देवगन, सिस्टम में अनफिट है, जाहिर है कि यह रुद्र का अपने अंदाज़ में रहना, अपराध और अपराधी को अपने तरीके से पकड़ना, यह सब सिस्टम में कहीं फिट नहीं बैठता है। ऐसे में रुद्र, सिस्टम में रहते हुए, किस तरह से सिस्टम से इतर अपने तरीके से काम करता है, सीरीज में वह देखना रोचक है। यह सीरीज बेहद कामयाब ब्रिटिश सीरीज ‘लूथर’ का हिंदी रूपांतर है, निर्देशक राजेश मापुस्कर और इस सीरीज की मेकर्स की इस बात के लिए तारीफ़ की जानी चाहिए कि उन्होंने इसे पूर्ण रूप से ‘लूथर’ का कॉपी पेस्ट नहीं बनाया है, बल्कि मूल कहानी के अलावा, पूरी तरह से ट्रीटमेंट में नयापन दिया है। जैसे ब्रिटिश सीरीज में लीड किरदार एक लाउड किरदार है, जबकि राजेश ने अजय की इंटेंसिटी को समझते हुए, उनके एक्सप्रेशंस से प्ले किया है और वहीं रुद्र को खास बना जाती है। साथ ही अतुल कुलकर्णी, राशि खन्ना, ईशा देओल, अश्विनी कलसेकर,आशीष विद्यार्थी और ऐसे अन्य कलाकारों के शानदार अभिनय ने इस सीरीज को बिंज वॉच सीरीज बना दिया है।

क्या है कहानी

रुद्र प्रताप सिंह उर्फ रुद्र ( अजय देवगन) लगातार अपराधियों को ढूंढ़ता है और उन्हें अपने तरीके से केसेज सुलझाता है। जाहिर है कि ईमानदार पुलिस ऑफिसर के लिए, उसके अपने ही पुलिस सिस्टम में कद्र नहीं है। रुद्र जितना प्रभाशाली पुलिस ऑफिसर हैं, उतने ही दमदार अपराधी उसके सामने एक के बाद एक आते जाते हैं। रुद्र अपने दिमाग से, यह पता लगा लेता है फ़ौरन ही कि अपराधी कौन है, लेकिन कानून सबूत माँगती है और यहाँ पूरा खेल भी शुरू होता है, हर एपिसोड में सबूत जुटाने का। यह देखना सीरीज में दिलचस्प है कि किस तरह से यह जानने के बावजूद कि अपराधी कौन है, रुद्र के अंदाज़ में अपराधी को पकड़ना कमाल का है। रुद्र अपने काम में जितना ही परफेक्शनिस्ट है, अपनी निजी जिंदगी में वह उतना ही विफल है। उसकी पत्नी शैला( ईशा देओल) के साथ उसके रिश्ते अच्छे नहीं हैं, वह शैला से बेहद प्यार तो करता है, लेकिन फिर भी दोनों साथ नहीं हैं। रुद्र की निजी जिंदगी भी इस सीरीज में एक गजब का थ्रिल लाती है। शैला के रुद्र की जिंदगी में आलिया चौकसी ( राशि खन्ना ) की एंट्री होती है। वह स्पेस रिसर्च में शानदार है। लेकिन वह खुद भी एक अपराधी है। अब आलिया के रुद्र की जिंदगी में आने पर क्या नए रोमांच आते हैं। यह देखना दिलचस्प है। कहानी में एक अहम पहलू गौतम ( अतुल कुलकर्णी ) जो कि रुद्र का सबसे करीबी दोस्त है, वह भी कहानी में जबरदस्त रोमांच लेकर आते हैं।

यहाँ देखें सीरीज का ट्रेलर


बातें जो मुझे अच्छी लगीं

  • इस सीरीज को लेकर, जब मेरी बात सीरीज के निर्देशक राजेश मापुस्कर से हुई थी, तो उन्होंने यह कहा था कि सीरीज पूर्ण रूप से ब्रिटिश सीरीज की कॉपी-पेस्ट नहीं होगी। हमारे अपने देश के इमोशन का भी ख्याल रखा जाएगा, तो हमारे देश के लोग और परिवेश के अनुसार निर्देशक ने जो बदलाव किये हैं, वह बेहतर हैं, उन्होंने अपने लीड किरदार को भी हूबहू लूथर से प्रभावित नहीं होने दिया है, ऐसे में ‘रुद्र’ के रूप में अजय देवगन की अपनी खूबी निखर कर सामने आती है।
  • साइकोलॉजिकल थ्रिलर के हिसाब से, अब तक जितने भी शोज सामने आये हैं, ‘रुद्र’ उस भीड़ में एक अलग जगह बना पाने में कामयाब होती है। कहानी घिसी-पिटी नहीं है, उसमें नयापन भी है और ट्रीटमेंट अप्रोच भी अच्छा है। रियल लोकेशन, बिना भारी-भरकम संवाद के यह सीरीज किरदारों के एक्शन और एक्सप्रेशन पर खेलती है, जो कि सीरीज को खास बनाती है।
  • ‘रुद्र’ अजय देवगन पर सेंट्रिक है, लेकिन महिला किरदारों को भी मेकर्स ने स्ट्रांग तरीके से प्रस्तुत किया है, खासतौर से राशि खन्ना के किरदार को कहानी में काफी तवज्जो मिली है।
  • राजेश मापुस्कर ने इससे पहले कभी कोई थ्रिलर सीरीज नहीं बनाई थी, लेकिन इस सीरीज में उनके निर्देशन से यह बात बिल्कुल नजर नहीं आती। निर्देशक थ्रिलर बनाने में माहिर है, ऐसा ही लगता है, क्योंकि उन्होंने इस सीरीज में कोई भी मेलोड्रामेटिक सीक्वेंस या संवाद को जगह नहीं दी है, जिससे यह सीरीज कहीं से भी किसी विदेशी सीरीज से कम नहीं लगती है।
  • सीरीज के विलेन और उनके केसेज भी यूनिक हैं, जो आकर्षित करते हैं और नयापन लाते हैं

अभिनय

अजय देवगन अपने पहले ही ओटीटी सीरीज डेब्यू में दर्शा जाते हैं कि मीडियम कोई भी हो, वह अपना बेस्ट देकर रहेंगे। उन्होंने इस सीरीज में एक्शन, एक्सप्रेशन और इमोशन तीनों पर कमांड किया है। बिना लाउड हुए उनका किरदार आकर्षित करता है। उन्होंने पूर्ण रूप से कहानी के अनुरूप अजय देवगन सुपरस्टार को हावी नहीं होने दिया है। उनका ऑरा है, लेकिन वह कहानी पर भारी नहीं पड़ता है, अतुल कुलकर्णी के हिस्से में एक शानदार किरदार आया है। वह कई दृश्यों में हैरान करते हैं। 20 सालों में भी, उन्होंने अपने अंदर के एक्टर, जो हर बार नया करना चाहता है, उस भूख को मरने नहीं दिया है और इस सीरीज में वह साफ़ तौर पर नजर आ रहा है। अतुल को मैंने ऐसे अवतार में पहले तो नहीं देखा था। ईशा देओल ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत अच्छी की है, उनके हिस्से में थोड़े और दृश्य आते तो शायद वह और बेहतर परफॉर्म करतीं। राशि खन्ना ने एक शार्प, इंटेलिजेंट और पॉवरफूल लड़की का किरदार पूरे जोश से निभाया है। कभी चुलबुली, कभी कठोर, उन्होंने अपने किरदार में काफी सारे रंग बिखेरे हैं। अश्विनी कलसेकर और आशीष विद्यार्थी के लिए थोड़े और दृश्य लिखे जाने की गुंजाईश थी।

बातें जिन्हें और बेहतर करने की गुंजाईश थी

सीरीज की अवधि लम्बी रखी गई है। हर एक एपिसोड की खासतौर से। ऐसे में सीरीज में केसेज जल्दी-जल्दी सुलझाए गए हैं, अवधि कम कर, केसेज में और रोमांच भरा जाता तो सीरीज और कामयाब होती। दर्शकों के लिए ऐसी साइकोलॉजिकल थ्रिलर में और अधिक रोमांच देने की गुंजाईश होती है, जो पहले एकदम ही न देखी गई हो, वैसे हर किस्से और घटनाएं होतीं तो और बेहतर होता।

वेब सीरीज : रुद्र

कलाकार : अजय देवगन, ईशा देओल, राशि खन्ना, अतुल कुलकर्णी, आशीष विद्यार्थी और अन्य

निर्देशक : राजेश मापुस्कर

ओटीटी : डिज्नी प्लस हॉटस्टार

मेरी रेटिंग 5 में  3 स्टार