मेरे लिए श्रेयस तलपड़े उन कलाकारों में से एक हैं, जिन्हें आप अभिनय का कोई भी पिच दे दें, फिर चाहे वह सीरियस किरदार हो या कॉमेडी, श्रेयस वहां सिक्सर लगाए बिना नहीं मानते हैं, श्रेयस के बारे में, क्रिकेट से जोड़ कर यह बातें इसलिए कह रही हूँ कि जल्द ही वह अपनी नै फिल्म ‘कौन प्रवीण ताम्बे ‘में नजर आने वाले हैं, जो कि क्रिक्रेट से ही जुड़ी है। वर्ष 2005 में आई थी ‘इक़बाल’। अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने बेहद शानदार किरदार निभाया था। मेरे जेहन में वह किरदार अब भी जिंदा है, यह उस किरदार की काबिलियत रही। ऐसे में एक बार फिर से, ‘कौन प्रवीण ताम्बे ‘फिल्म से श्रेयस फिर से सिनेमाई खेल के मैदान में नजर आ रहे हैं, तो उन्हें देख कर, फिर से जेहन में वे यादें ताजा भी हुई हैं, साथ ही एक ऐसे इंसान की कहानी, जिन्होंने 41 साल की उम्र में अपनी जिंदगी के सबसे बेहतरीन पल जिए हैं, वह आईपीएल के एक ऐसे खिलाड़ी बनते हैं, जो अपनी शानदार पारी खेलने के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानी को लेकर जब श्रेयस जैसे कलाकार पर्दे पर आते हैं, तो कहानी के प्रति खुद पर खुद विश्वास जग जाता है। मुझे वाकई में ऐसा लगता है कि श्रेयस में जो अभिनय क्षमता है, उनको अब तक पर्दे पर पूरी तरह से निखारा नहीं गया है। कौन प्रवीण ताम्बे से मुझे यकीन है कि वह बात सामने आएँगी। वैसे, ‘पुष्पा ‘और अल्लू अर्जुन का ख्याल आते ही, अब ऐसा हो ही नहीं सकता है कि श्रेयस की आवाज की चर्चा न हो, अल्लू अर्जुन को पैन इंडिया स्टार बनाने में उनकी आवाज की भी भूमिका रही ही है। तो श्रेयस ने मुझसे इस बातचीत में, अपने क्रिकेट प्रेम, फिल्म प्रेम और ‘पुष्पा ‘के सक्सेस को लेकर बातचीत के है, मैं उसके अंश यहाँ पेश कर रही हूँ।
कौन प्रवीण ताम्बे की जर्नी जाननी चाहिए सबको
श्रेयस कहते हैं कि एक आदमी जिसने 41 की उम्र में जाकर अपने सपने को आकार दिया है, उसकी कहानी लोगों तक पहुंचनी ही चाहिए।
वह कहते हैं
सच कहूँ, तो मैं इससे कैसे जुड़ा, इसका श्रेय मैं इस फिल्म की टीम को ही देना चाहूंगा, मैंने प्रवीण ताम्बे का नाम, दरअसल, तब देखा, जब उनका डेब्यू हुआ था, आईपीएल, मैंने जब अचानक देखा कि यह कौन हैं, यह तो इतने बड़े लग रहे हैं, मुझे दोस्तों ने बताया कि यह प्रवीण ताम्बे हैं और 41 साल की उम्र में इसने डेब्यू किया है। मैं काफी सरप्राइज था। तो इनको देख कर, मेरे जेहन में आई कि यह अब तक कहाँ थे। फिर अचानक एक दिन मुझे इस फिल्म के लिए कॉल आ गया, तो मैं इसको संयोग मानता हूँ, मैंने जब कहानी सुनी, और जो उनकी जर्नी रही हैं, उनके संघर्ष रहे हैं और उनका एट्टीट्यूड रहा है, मुझे ऐसा लगा कि यह कहानी लोगों को पहुंचना चाहिए।
क्रिकेटर कभी मैं भी बनना चाहता था
श्रेयस ने अपने मन की एक तमन्ना के बारे में मुझसे शेयर की कि वह भी कभी क्रिकेटर बनना चाहते थे।
श्रेयस ने इस बारे में बताया
दरअसल, एक ऐसा समय था, जब मैं ख़राब क्रिकेट खेलता था, हम चार भाई खेला करते थे, हमारी जॉइंट फैमिली थी। कजिन्स में मैं सबसे छोटा और सबसे बुरा क्रिकेट खेलता था, और मेरे सबसे बड़े भाई ने फिर भी मुझे आचरेकर सर की कोचिंग में मुझे क्रिकेट सीखने के लिए भी डाल दिया था। फिर वहां से मैं अच्छा खेलने लगा, लेकिन इसके बाद मैं कॉलेज चला गया और फिर वहां थियेटर से जुड़ गया, तो मेरी एक अलग ही जर्नी शुरू हो गई। लेकिन क्रिकेट से नाता रहा। इकबाल में बड़ा मजा आया। और अब जब फिर से मेरे पास ऐसा किरदार आया है, तो मैं खुश हूँ, वरना मैं जिस उम्र में हूँ, मुख्य रूप से मुझे कोच जैसे कोई किरदार के लिए लोग सोचते, लेकिन थैंक टू प्रवीण ताम्बे, मुझे ऐसा दोबारा मौका मिला कि मैं खुद को स्क्रीन पर दोबारा क्रिकेटर के किरदार में देख पा रहा हूँ।
फिजिकल जर्नी कठिन रही प्रवीण ताम्बे किरदार के लिए
श्रेयस ने फिल्म की तैयारी के बारे में कहा
इसमें कोई शक नहीं है कि यह मेरे लिए चैलेंजिंग रहा, क्योंकि मेरे लिए इस समय में फिजिकल ट्रेनिंग में जाना कठिन रहा है, शूटिंग करते वक़्त, मुझे काफी दर्द भी रहा, लेकिन जब आप एन्ड ऑफ़ द डे यह देखते हो कि आप एक ऐसे इंसान का किरदार निभा रहे हैं, जिसने 20-22 साल से एक ही सपना देखा है, तो मुझे लगा कि मैं 50 दिन तो मेहनत कर ही सकता हूँ। वहीं मैंने इस फिल्म से सीखा है कि उम्र सिर्फ एक अंक है, यह सब आपके दिमाग में है। जब स्वामी शिवानंद जी 126 साल की उम्र में पद्म अवार्ड मिला, तो ऐसे इंसानों को लगता है कि हम उम्र को लेकर क्यों रोते रहते हैं।
इमेज में खुद को बांधना नहीं सही है एक्टर के लिए
श्रेयस कहते हैं कि यह एक एक्टर की ही जिम्मेदारी होती है कि वह खुद को किसी भी इमेज न बांधें, वह खुद को एक्सप्लोर करते रहे
श्रेयस इस पर विस्तार से कहते हैं
मुझे ऐसा लगता है कि कुछ अच्छा मिलने में लगता है। मैं जब इंडस्ट्री में आया था, तो मेरे लिए सेटअप समझने में वक़्त लगा, उस वक़्त सुभाष जी ने और नागेश ने काफी गाइड किया, फिर होता यह है कि जब आपके सीनियर्स अप्रोच करते हैं, तो उनको न कहना मुश्किल हो जाता है, जैसे मैं अपने कॉमिक अंदाज़ के लिए जाना जाता हूँ, लेकिन शुरू में जब इक़बाल के बाद, मुझे कॉमिक में रिजेक्ट किया जा रहा था, क्योंकि इकबाल से एक सीरियस इमेज बन गई थी, लेकिन उस वक़्त मैंने कॉमेडी को चैलेन्ज लिया, लेकिन फिर जब वहां नाम बनने लगा, तो उस वक़्त खूब सारी मल्टी स्टारर कॉमेडी फिल्म बनने लगी थी, तो फिर मैंने वह करना शुरू किया, मुझे लगा कि मैं यह नहीं करूँगा, तो शायद मैं लेफ्ट आउट हो जाऊंगा, लेकिन तब तक आपकी इमेज बन चुकी होती है, लोगों के जेहन में , लेकिन फिर ऐसी फिल्में आती हैं, और नीरज पांडे और ऐसी फिल्में बनाने वाले लोगों को याद आता है कि श्रेयस ने एक वह रोल किया था, उसको फिर एक्सप्लोर करते हैं, तो मैं इस बात के साथ खुश हूँ कि आपको आपके पिछले कामों से याद रखा गया है। फिर चाहे वह कभी भी हो सकता है, जैसे अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर और बाकी कलाकार ने सेकंड इनिंग में शानदार काम किया।
स्पोर्ट्स पर्सन और एक्टर की जिंदगी में समानता
श्रेयस मानते हैं मानते हैं कि क्रिकेट और सिनेमा का तालमेल हमेशा रहेगा, कभी यहां प्रेम कहानियां बनी हैं, तो कई क्रिकेटर्स ने फिल्में की हैं, तो कई क्रिकेटर्स पर फिल्में बनी हैं। तो यह एक दूसरे के साथ हमेशा रहेंगे।
यह दोनों ही ऐसे प्रोफेशन हैं, जो बहुत प्रेरणादायक है, एक ग्लैमर से जुड़ा हुआ है और हर कोई उससे जुड़ जाता है कि वह इससे जुड़ जाएँ, इसलिए सोशल मीडिया पर इन्फ्लुएंसर्स की भरमार है। ठीक इसी तरह, हमारे देश में क्रिकेट स्पोर्ट्स के रूप में हावी रहे। क्रिकेट और सिनेमा का मेल है, साथ ही साथ एक जो किसी स्पोर्ट्स का जो स्पिरिट होता है कि हर हाल में मैच जीतना ही है। लास्ट बॉल तक टिके रहना, यह जो थ्रिल है, वह मुझे आकर्षित करती है। हालाँकि अब चीजें बदल रही हैं, मुझे बड़ा अच्छा लगा कि जब हमलोग शूट कर रहे थे, वहां मैंने पहली बार लड़कियों को भी प्रैक्टिस करते हुए देखा, पहले ऐसा नहीं होता था, अब लड़के-लड़कियां साथ में खेलती हैं, तो उन्हें देख कर अच्छा लग रहा है।
पुष्पा की विशेषता को बचाये रखूंगा
श्रेयस तलपड़े ने साफ कहा कि ऐसा नहीं है कि वह ‘पुष्पा ‘में अल्लू अर्जुन की आवाज बन कर लोकप्रिय हुए हैं, तो वह सिर्फ यही करते रहेंगे
वह कहते हैं
मुझे बहुत ख़ुशी भी मिलती है कि लोग मुझे इतना प्यार दे रहे हैं और मुझे कई फिल्मों की डबिंग के लिए ऑफर आ रहे हैं, लेकिन मैं पुष्पा की एक्सक्लूसिविटी को बरक़रार रखना चाहता हूँ फिलहाल।
वाकई में, श्रेयस तलपड़े से बातचीत करना, हमेशा ही खुद को भी इनहांस करने जैसा होता है, मराठी फिल्म इंडस्ट्री में जिस तरह के प्रोजेक्ट्स किये हैं और अच्छे कामों को सपोर्ट किया है, मैं उनकी इस बात से मुरीद हूँ कि बहुत चुपचाप वह अपना काम करते रहते हैं। और मुझे अब भी ऐसा लगता है कि उनका बेस्ट आना बाकी है, निर्देशकों को श्रेयस को और अधिक एक्सप्लोर करने की जरूरत है। ऐसे में 1 अप्रैल को उनकी फिल्म ‘कौन प्रवीण ताम्बे ‘आ रही है, तो मुझे ख़ुशी हो रही है। फिल्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आएगी और मुझे उम्मीद है कि श्रेयस कुछ दमदार ही करेंगे।