वेटरन अभिनेता ऋषि कपूर के लिए इससे अच्छी श्रद्धांजलि कुछ हो ही नहीं सकती थी कि जिस तरह से फिल्म ‘शर्माजी नमकीन ‘में ऋषि के उन सारे दृश्यों को ज्यों का त्यों रखा गया है। ऐसे में एक आखिरी बार, मेरे जैसे उनके प्रशंसक उन्हें स्क्रीन पर अभिनय करते हुए देख पाएंगे। मुझे इस फिल्म के मेकर्स की यह परिकल्पना बेहद अद्भुत लगी, मुझे नहीं लगता है कि इससे पहले किसी ने कुछ ऐसा एक्सपेरिमेंट फिल्म में अब तक किया है। ऋषि कपूर को लेकर फिल्म के निर्देशक हितेश भाटिया की कई यादें जुड़ी हैं, जिन्हें उन्होंने मेरे साथ शेयर किया है, उस बातचीत के अंश मैं यहाँ शेयर कर रही हूँ। वैसे हितेश भाटिया के बारे में मैं एक बात और बताना चाहूंगी कि वह लम्बे समय तक फिल्म एडिटिंग के क्षेत्र से जुड़े रहे हैं और ‘शर्माजी नमकीन’ बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म है।
ऋषि कपूर का जाना हम सबके लिए क्षति है
निर्देशक हितेश का मानना है कि ऋषि जी का जाना पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए दुखद बात थी।
वह बताते हैं
हम ऋषि कपूर जी के साथ फिल्म बना रहे थे, लेकिन बीच में ही अफसोसजनक है कि उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, टफ टाइम था, मेरे लिए, प्रोड्यूसर के लिए, अभिषेक, फरहान, हनी, रितेश जितने भी इसके प्रोड्यूसर हैं, सबका सॉलिड इंटेशन था कि इस फिल्म को हम खत्म करना चाहते हैं, ऋषि जी की अंतिम फिल्म को हम पूरी दुनिया के सामने प्रेजेंट करना चाहते हैं। वीएफएक्स और ऐसी कई बातें भी हमने सोची और फिर निर्णय लिया कि आगे बढ़ेंगे।
रणबीर कपूर थे किरदार करने को तैयार
हितेश बताते हैं कि रणबीर कपूर ने भी फिल्म को पूरा सपोर्ट किया। वह ऋषि जी की भूमिका करने को तैयार थे
हितेश ने बताया
रणबीर कपूर ने तो यहाँ तक कहा कि मेरे साथ प्रोस्थेटिक में ट्राई करके देखो, मैं पूरी कर देता हूँ फिल्म, लेकिन कुछ बात नहीं बन पायी। तब यह आइडिया आया कि हम किसी एक और एक्टर को लेते हैं।
ऋषि कपूर से हमेशा याद रहेंगे
ऋषि कपूर को याद करते हुए कुछ खास बातें शेयर करते हुए हितेश कहते हैं उनको आइडिया बेहद पसंद आया था।
वह कहते हैं
बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है, लेकिन उनका स्क्रिप्ट में भी काफी योगदान रहा है। हमने उनको सेकेण्ड हाफ सुनाया था, तो उनको बहुत अच्छा नहीं लगा था, फिर उन्होंने काफी इनपुट्स दिए, वह काफी प्रोसेज में इन्वॉल्व थे। मुझे उन्हें समझने में समय लगा। लेकिन धीरे-धीरे मैं उनको समझ गया कि वह दिल से सॉफ्ट ही हैं। ऊपर से उनका एक्सपीरिंयस ऐसा है। जूही हमें टॉम और जेरी बुलाती थी, क्योंकि हम सेट पर खूब लड़ाइयां करते थे और फिर एक हो जाते थे। लेकिन हर लड़ाई के बाद खाने की बात करते थे।
और वह शॉट ऋषि जी का वह फिल्म में नहीं, उनके जीवन का आखिरी शॉट बन गया
एक खास मोमेंट को याद करके हितेश इमोशनल हो जाते हैं और कहते हैं
फिल्म में जो हमने उनके साथ आखिरी सीन फिल्माया है, और दरअसल, उनके लाइफ का आखिरी शॉट, उनका क्लोज अप था, जो मुझे शूट करना नहीं था, मेरी शॉर्ट लिस्ट में नहीं था, लेकिन ऋषि जी ने कहा कि नहीं यह एक्स्ट्रा शॉट लो, मैंने कहा भी कि जरूरत नहीं है, क्योंकि लाइट ड्रॉप हो रही थी, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने क्लोज शॉट लिया। हमने वह शॉट फिल्म में इस्तेमाल भी किया है, और इस मोमेंट को मैं हमेशा ही चेरिश करूँगा।
परेश रावल का बोर्ड पर आना बड़ी बात
हितेश कहते हैं
सच कहूँ, तो मैं शुरू में इतना कन्विंस नहीं था कि अरे, यार यह कैसे होगा। कोई और एक्टर आएगा, कुछ अजीब सा न हो जाये, लेकिन कुछ समय के बाद मैं कन्विंस हुआ, और थैंक टू परेश जी कि किसी भी एक्टर के लिए मुश्किल होता है कि वह किसी और एक्टर के साथ काम करने जाए, लेकिन परेशजी को स्क्रिप्ट बहुत अच्छी लगी और वह भी चाहते थे कि ऋषि कपूर को ट्रिब्यूट देंगे। फिर सबका साथ मिला और मैं इस फिल्म को बना कर न सिर्फ खुश हूँ, बल्कि यह भी मुझे प्राउड हो रहा है कि हम ऋषि कपूर को एक ट्रिब्यूट दे पा रहे हैं।
कहानी की इंस्पीरेशन
हितेश ने बताया कि उनको इस फिल्म की इंस्पीरेशन अपने घर से ही मिली है।
वह कहते हैं
मेरे पिताजी की कहानी से इंस्पायर है यह कहानी, जो काम करने के बाद, जब रिटायर हुए तो उनके पास करने के लिए कुछ भी नहीं था। तो कैसे वह अपनी ही फैमिली में समय बिताते थे, उनका क्या इंटरफेरेंस होता था, कभी सोसाइटी में कुछ हो जाता था, कभी लड़ाइयां हो जाती थीं। तो हर रोज मेरे डैड एक मिशन ढूंढ लेते थे। लेकिन जब मैंने उनसे विस्तार में बातचीत की, तो मुझे समझ आया कि यह सब कुछ उनके लिए हंसी मजाक नहीं है। सीरियस चीज है कि मैं दिन भर में मैं क्या करूँ, मैं बोर हो जाता हूँ, तो वहां से उनकी हेल्प करते-करते यह आइडिया आया, यह एक कहानी है, जो मैं अपनी पहली फिल्म के माध्यम से बताना चाहूंगा कि जब इंडिया में मीडिल क्लास के लोग रिटायर होते हैं, तो आपके पास कुछ करने को नहीं रहता है, जबकि आप फिजिकली फिट हों, तो वहां से इस कहानी की शुरुआत हुई।
मीडिल क्लास का दौर बरक़रार रहे
हितेश का मानना है कि यह अच्छी कहानियों को कहने का बेस्ट दौर है।
वह कहते हैं
इस वक़्त कहानियों को कहने का बेस्ट दौर है, अलग-अलग तरह की कहानियां कह रहे हैं, मेरा मानना है कि अभी एक ऐसा दौर है, जहाँ निर्देशक और प्रोड्यूसर, दोनों ही कहानियों को लेकर उत्साहित हैं। नए राइटर्स और नयी कहानियां सबको मौके मिल रहे हैं। अच्छे कॉन्टेंट को वेलकम कर रहे हैं। जैसे फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी ने पहली ही नैरेशन में फिल्म को हां कह दिया था। मेरे लिए फिर आगे दिक्कत नहीं हुई, उनका एक्सपेरिएंस यह सब काम आया।
हितेश ने यह भी बताया कि नीतू कपूर, रणबीर कपूर और कपूर खानदान के बाकी सदस्यों को यह फिल्म कैसी लगी, इसके बारे में वह अधिक नहीं कह पाएंगे, क्योंकि नीतू और रणबीर स्क्रीनिंग के बाद इमोशनल थे, उनके लिए यह पर्सनल फीलिंग रही।
वाकई, मैं यह तो यही कहूँगी कि फिल्म काफी इमोशनल नजर आ रही है और ऋषि जी को आखिरी बार फिल्म में देखना मेरे लिए खास रहेगा। फिल्म 31 मार्च को रिलीज अमेजॉन प्राइम वीडियो पर होने वाली है और मैं इस फिल्म को देखने के लिए काफी उत्साहित हूँ।