मेरा मानना है कि किसी भी कलाकार का असली त्यौहार शुक्रवार होता है, जब उनकी फिल्में रिलीज होती हैं और वे दर्शकों के सामने आते हैं, फिल्में चलीं तो दीवाली, नहीं चलीं तो अगली फिल्म में उनके लिए और चुनौती खड़ी हो जाती है, मेरी इन बातों से कुछ ऐसा ही इत्तेफाक सुपर स्टार अक्षय कुमार भी रखते हैं। वह भी यही कहते हैं कि वह खुद को कोई सुपरस्टार नहीं मानते हैं, क्योंकि हर शुक्रवार और फिल्मों की रिलीज होने पर, हर कलाकार के लिए लोगों का परसेप्शन बदल जाता है। साथ ही अक्षय मानते हैं कि फ़िल्मी दुनिया में जहाँ आपकी मेहनत मायने रखती हैं, वहां किस्मत भी मायने रखती है। अक्षय ने इस बारे में विस्तार से बातचीत की, जब हाल ही में मेरी उनसे फिल्म ‘बच्चन पांडे’ के लिए हुई, यहाँ मैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश शेयर कर रही हूँ।
हर शुक्रवार बदलता है लोगों का परसेप्शन
अक्षय कुमार लगातार हिट फिल्मों का हिस्सा बनते जा रहे हैं। वह लगभग साल में चार से पांच फिल्में करते हैं और उनकी फिल्में खूब कामयाब भी होती हैं। ऐसे में अक्षय कुमार के लिए स्टारडम क्या मायने रखता है। अक्षय इस बात को लेकर एकदम स्पष्ट हैं कि वह इस सिस्टम में यकीन ही नहीं करते हैं।
वह कहते हैं
स्टार की क्या वैल्यू होती है, आज है, फिर दो शुक्रवार अगर फिल्में नहीं चली, तो फिर नीचे उतार देंगे, आपलोग ही, मैं इसको सीरियस नहीं लेता हूँ, मैं नहीं सोचता, ऐसा कोई वर्ड ही स्टार, क्योंकि स्टार तो कहा जाता है कि हमेशा रहता है। फिर जब अगले शुक्रवार जो स्टार उतर जायेगा, उसको स्टार कैसे कहें।
किस्मत अच्छी है फिल्में चल जाती हैं
अक्षय खुद को कोई बड़ा स्टार नहीं मानते
वह कहते हैं
किस्मत अच्छी है कि फिल्में चल जाती हैं, हमेशा यही कहते हुए आया हूँ और समझता आया हूँ कि इस इंडस्ट्री में मेरा जितना अनुभव रहा है कि 70 प्रतिशत आपकी किस्मत होती है, 30 प्रतिशत मेहनत होती है। मैं सीधी से बात कहता हूँ कि मैं बाहर देखता हूँ कितने लोग खड़े होते हैं, उनमें से कितने लोग होते हैं, जो मेरे से अच्छे होते होंगे, लेकिन उनको फिल्म नहीं होती है, तो इसका कारण क्या हुआ, क्योंकि किस्मत, माने या न माने। मैंने अपनी जिंदगी में देखा है कि कई ऐसी फिल्में हैं, जिनको मैं बोलता हूँ कि खराब फिल्में हैं, अपने मन में कह रहा हूँ कि खराब फिल्म है, चल नहीं सकती, लेकिन चल जाती है। जो अच्छी रहती है, कई बार फ्लॉप हो जाती है। हम यहाँ बैठ कर यह जज कर लें कि फिल्म चलेगी कि नहीं चलेगी, कुछ पता नहीं होता है, ऐसे में मैं इन चीजों को स्टार, बैंकेबल, डिपेंडेबल यह सारे वर्ड्स, जब आपके लिए इस्तेमाल होते हैं, तो सुनने में अच्छे लगते हैं, लेकिन सीरियस लेने वाले नहीं होते हैं।
खुद देखा है स्टार्स को गिरते
अक्षय कहते हैं
मैंने खुद अपनी आँखों से देखा है कई स्टार्स को गिरते, हर फ्राइडे को, मेरे प्रति मीडिया के बदलते रवैये को देखा है, आज अच्छे हैं, मुझे अच्छी तरह याद है मीडिया वाले मुझसे आठ से नौ साल पहले बोलते थे, आपकी तो फिल्में चल ही नहीं रही हैं, तो बदल जाता है, मौसम के हिसाब से, इसलिए मैं इस बात को मानता ही नहीं हूँ, हर किसी को आगे बढ़ना होता है, हमको दूसरे और नए जेनरेशन को मौका देना होगा आगे आने के लिए और जहाँ मैं हूँ, मैं खुश हूँ।
वाकई में, अक्षय ने स्टारडम को लेकर बेहद महत्वपूर्ण बात कही है, जिसे मैं भी मानती हूँ कि हर स्टार को नए स्टार या जेनरेशन को आगे आने का मौका देना चाहिए। अक्षय की यही खूबी है, जिसकी वजह से अक्षय नए जेनरेशन में भी लोकप्रिय हो रहे हैं, वह टाइगर श्रॉफ के साथ जब ‘बड़े मियां छोटे मियां’ में आते हैं, तो इसलिए प्रासंगिक लगते हैं, क्योंकि उन्हें नए जेनरेशन को देख कर कुढ़ने की नहीं, बल्कि उनके साथ कदम से कदम मिला कर चलने का जज्बा नजर आता है। तभी तो सलीम खान जैसे वेटरन भी उनके बारे में कहते हैं कि वर्तमान दौर में अक्षय ही एक मात्र ऐसे सुपरस्टार हैं, जो आने वाले और 20 सालों में दर्शकों के दिलों पर राज कर सकते हैं, क्योंकि न सिर्फ वह शारीरिक रूप से फिट हैं, बल्कि अपनी सोच में भी उन्होंने कोई नेगेटिविटी या झूठा भ्रम नहीं पाल रखा है।