अभी हाल ही में रिलीज हुई थी फिल्म ‘लव हॉस्टल’। ऑनर किलिंग पर आधारित इस फिल्म में ज्योति दिलावर का किरदार, एक ऐसी स्ट्रांग महिला का किरदार था, जो अगर फिल्मी स्टाइल में बोलूं, तो अपने बाप से भी नहीं डरती थी, उसने प्यार किया तो, सिर्फ प्यार करने की हिम्मत नहीं दिखाई, बल्कि कोर्ट में जाकर, डंके की चोट पर प्रेम विवाह करने का हक़ माँगा। फिल्म का नायक कई बार भले ही दब्बू बन जाये, लेकिन इस फिल्म की नायिका ने सबकी नाक में दम कर दिया, इस नायिका की केवल जुबान ही नहीं, हाथों में बन्दूक रहे, तो वह भी धांय-धांय चला देती है। हिंदी सिनेमा में ऐसी स्ट्रांग महिला किरदार को पूरी तरह जीने में अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। मैं तो यह फिल्म देख कर, उनकी ऑ में थीं ही कि उनकी नयी आने वाली फिल्मों की घोषणा हो गई, जिसमें ‘कटहल’ और ‘द ग्रेट इंडियन किचन’ भी शामिल हैं।‘कटहल’ की झलक देख कर, तो एक बार फिर से इस बात का इल्म हो चुका है मुझे कि सान्या फिर से चौंकाने वाली हैं और पूरी फिल्म में शो स्टॉपर बन जाने वाली हैं। दरअसल, मैंने सान्या की फिल्मोग्राफी पर जब गौर किया, तो मैंने महसूस किया कि युवा अभिनेत्रियों में सान्या, अपने लिए, अपने तरह की फिल्मों की एक अलग ही गैलेक्सी तैयार कर रही हैं, जिसमें उनकी हर फिल्म ही किसी ध्रुव तारा से कम नहीं है। जी हाँ, सान्या ने अपनी डेब्यू फिल्म ‘दंगल’ के बाद से ही ऐसी फिल्में चुनी हैं, जिनमें उनका अभिनय ही उनका ग्लैमर बन रहा है। वह एकदम अलग मिजाज की फिल्मों का चयन कर रही हैं और खूब एक्सपेरिमेंट्स कर रही हैं। मैंने हाल के दौर की अभिनेत्रियों में बिरले ही, यह भूख देखी है, जो मुझे सान्या में लगातार नजर आ रही है कि वह किसी बिग बजट या बड़े नामी गिरामी निर्देशकों के साथ काम नहीं कर रही हैं, वह अच्छी कहानियों के साथ काम कर रही हैं, जहाँ सिर्फ और सिर्फ हीरो, उनका अभिनय बन रहा है। फिर भले ही वे फिल्में कामयाब हों या न हों, लेकिन आप सान्या के किरदार की तारीफ किये बगैर नहीं रह पाएंगे। ऐसे में मैं एक नजर उनके अबतक के सफर पर डाल रही हूँ, जिसमें मैं यह बताने की कोशिश कर रही हूँ कि सान्या वर्तमान दौर में, सबसे ज्यादा एक्सपेरिमेंटल किरदारों को निभाने वाली अभिनेत्री हैं, जिन्होंने यह ठान लिया है कि किरदार कुछ भी हो, वह उसमें छा ही जाएँगी। ऐसे समय में जहाँ, उनकी समकक्ष अभिनेत्रियां एक अलग ही दौड़ में चल रही हैं, सान्या ने अपने लिए एक अलग ही रास्ता इख़्तियार कर लिया है।
‘पगलैट’ से बढ़ कर भी कोई एक्सपेरिमेंटल किरदार हो सकता है क्या
एक ऐसी फिल्म, जिसमें सान्या को एक युवा विधवा लड़की का किरदार निभाने का मौका मिला है। यह नॉन ग्लैमरस रोल तो है ही, साथ ही इसमें काफी मैच्योर अभिनय की भी जरूरत थी। एक सीन में जहाँ, सान्या अपनी दोस्त को कहती है कि कोल्ड ड्रिंक मंगवा दो, फिर पिक्चर देखने चली जाती है और वह सबकुछ करती है, जो शादी के बाद या शादी से पहले उसे करने के मौके, पारिवारिक दबाव में नहीं मिल पाते हैं। सान्या ने इस किरदार को प्रोमिसिंग तरीके से निभाया है। इस फिल्म में ऐसे कई मोमेंट्स हैं, जिसके लिए सान्या याद रखी जाएँगी। उन्होंने एक युवा लड़की, जिसने अभी ठीक से सपने देखने शुरू भी नहीं किये और उसकी जिंदगी उजड़ जाती है, भारत की ऐसी कई युवा लड़कियों को रिप्रजेंट किया है, जो कम उम्र में विधवा हो जाती हैं और फिर उन्हें ताउम्र समाज के तानों के साथ जिंदगी बितानी पड़ती है। यह हिंदी सिनेमा में महिलाओं की आजादी का जश्न मनाने वाली फिल्म है, और सान्या ने इसे बखूबी जिया है।
‘मीनक्षी सुंदरेश्वर’ में दिखाया शादी खुशियों का अंत नहीं एक लड़की के लिए
मैं इस बात को पूरी तरह से मानती हूँ कि इस फिल्म को केवल एक लव स्टोरी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि निर्देशक ने इस फिल्म में एक ऐसी स्ट्रांग वीमेन की कहानी दिखाई है, जो शादी के बाद, अपनी जिंदगी दूसरों की मर्जी से जीने में यकीन नहीं रखती है। भले ही उसके ससुरालवालों को उसके पुरुष दोस्त के होने से दिक्कत हो, लेकिन वह डंके की चोट पर कहती है कि उसको यह साड़ी उसके पुरुष दोस्त ने दी है, वह रजनीकांत की दीवानी है, तो वह स्टॉल में जाकर, सिंगल थियेटर में भी फिल्म देखती है। वह शादी के लिए आये लड़के से, वह सारे सवाल जवाब करती है, जो हक़ अमूमन लड़कियों को दिया ही नहीं जाता है। ऐसे में इस फिल्म में सान्या वर्तमान दौर की स्ट्रांग वुमन को रिप्रेजेंट करती है। उनका किरदार दिखाता है कि एक लड़की अपने संस्कारों का सम्मान करती है, इसका यह मतलब नहीं कि वह गलत बातों को भी बर्दाश्त करे, इस लिहाज से भी सान्या इस फिल्म में स्ट्रांग वीमेन बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
‘लव हॉस्टल’ में डंके की चोट पर की हक की लड़ाई
‘लव हॉस्टल’ में सान्या ने एक हरियाणवी लड़की का किरदार निभाया है, जो अपनी खूंखार दादी से भिड़ जाती है, वह प्रेम विवाह भी करती है और फिर अपने प्रेम को बचाने के लिए, अपने हक की लड़ाई भी लड़ती है, जो उसे जितना दबाना चाहता है, वह उन्हें और अधिक जवाब देती है। इस फिल्म में सान्या के किरदार ने उन तमाम मासूम लड़कियों को आवाज देने की कोशिश की है, जिन्हें प्यार करने की वजह से मौत के घाट उतार दिया जाता है। सान्या का गुस्सा, झल्लाहट और उनका बेबाक अंदाज़ जो इस किरदार में नजर आया है, दरअसल उन तमाम लड़कियों के फ्रस्टेशन का जीता-जागता चित्रण है।
‘पटाखा ‘में दिखा दो बहनों का असली इमोशन
‘पटाखा ‘में सान्या मल्होत्रा ने दो बहनों की कहानी को दर्शाया है। इस फिल्म में उनका जो अल्हड़पन और इमोशनल अंदाज नजर आया है, वह भी उनके किरदार को अलग स्तर पर लेकर जाता है।
‘लूडो’ और ‘बधाई हो’ में अर्बन ऑडियंस को दिया सरप्राइज
अब जबकि सान्या ऐसे एक्सपेरिमेंटल रोल्स में ज्यादा नजर आती हैं और आप इस गलतफहमी में उनकी यही छवि बना रहे होते हैं, तो एक बार सान्या फिर से ‘लूडो’ और ‘बधाई हो’, जैसी अर्बन ऑडियंस वाली फिल्में चुनती हैं कि उनके अर्बन ऑडियंस भी उनसे वैसे ही कनेक्ट रहें, खास बात यह है कि एक ही पल में रस्टिक, रूरल और रफ एंड टफ अंदाज़ में नजर आने वालीं सान्या अचानक अर्बन यूथ को रिप्रेजेंट करने लगती हैं, वह भी पूरे कन्विक्शन के साथ। यही सान्या के अभिनय की खूबी है कि वह न तो खुद को रिपीट कर रही हैं, न ही एक किरदार में बाँध रही हैं।
‘कटहल’ में दिख रहा है कॉमेडी अंदाज़
सान्या की आने वाली फिल्म कटहल का अभी तो बस टीजर आया है, लेकिन उसमें जिस तरह से सान्या का सटायर वाला अंदाज़ दिख रहा है, मुझे पूरे आसार नजर आ रहे हैं कि एक बार फिर से सान्या चौंका देंगी।
‘द ग्रेट इंडियन किचन’ में भी करेंगी हैरान
मलयालम भाषा में मूल रूप से बनी इस फिल्म में, एक ऐसी लड़की की कहानी को दर्शाया गया है, जिसके सारे सपने शादी के बाद, केवल अपने ससुराल के लोगों की सेवा में और किचन में उनकी फरमाइशों को पूरा करने में चूर-चूर हो जाते हैं। यह फिल्म एक खास मेसेज लेकर आई है और मुझे पूरी उम्मीद है कि हिंदी सिने प्रेमियों के अनुसार, इस फिल्म के रीमेक में एक बार फिर से सान्या स्ट्रांग वीमेन बन कर ही उभरेंगी।
वाकई, सान्या ने जब अपना डेब्यू किया था, ‘दंगल ‘ में वह धाकड़ नजर आई थीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने बॉलीवुड की इस चकाचौंध से इतर अपने लिए, जो अभिनय की दुनिया सजाई है, वह उल्लेखनीय है, उन्हें खुद को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि इतनी कम उम्र में उन्होंने कई सार्थक किरदार निभा लिए हैं। मुझे उनमें वर्तमान दौर की विद्या बालन, स्मिता पाटिल, शबाना आजमी वाली प्रतिभा नजर आती है, जो हर किरदार में जान डाल दिया करती थीं, ठीक उसी समय में मुझे उनमें दीपिका पादुकोण वाली ग्लैमरस अंदाज, डांसिंग दीवा माधुरी के एक्सप्रेशन की क्वीन भी नजर आती है। मुझे पूरी तरह से इस बात का यकीन है कि सान्या मल्होत्रा अपने लिए फिल्मों की एक ऐसी पिच तैयार कर रही हैं, जिसमें उन्हें बॉलिंग करने का मौका मिल रहा है, तब भी वह खूब जम कर विकेट उड़ा रही हैं और हाथों में अगर उन्हें बल्ला थमाया जा रहा है तो वह छक्के पर छक्का लगा रही हैं। मुझे तो उनकी आने वाली फिल्मों का बेसब्री से इंतजार रहेगा। और जब तक उनकी यह फिल्में आती हैं, मैं उनके इंस्टाग्राम डांस वीडियो पर फिलहाल थिरकने जा रही हूँ।