यह हमारी आम अवधारणा होती है कि हम जब किसी एक्ट्रेस को ग्लैमरस किरदार निभाते देखते हैं, तो उनके बारे में एक सोच बना लेते हैं कि यह सिर्फ ग्लैमर और चकाचौंध की ही बातें करती होंगी, लेकिन मेरी यह सोच अभिनेत्री पूजा हेगड़े ने पूरी तरह से बदल कर रख दी, जब मेरी मुलाकात हाल ही में पूजा से उनकी आने वाली फिल्म ‘राधे श्याम’ को लेकर हुई। पूजा की आनेवाली फिल्म ‘राधे श्याम’,प्रभास के साथ है। पूजा साउथ से लेकर नॉर्थ यानी पैन इंडिया में भी इतनी लोकप्रियता हासिल करने के बावजूद, न सिर्फ एक बहुत विनम्र इंसान हैं, बल्कि नारीवाद और महिलाओं को लेकर उनकी जो सोच है, मुझे वह औरों से बिल्कुल अलग लगीं। पूजा की जो सबसे अच्छी बात मुझे प्रभावित कर गई कि वह किसी भी पत्रकार के सवालों के जवाब यूं ही टालने वाले अंदाज़ में नहीं दे रही थीं, बल्कि खूब ध्यान से, वक़्त लगा कर, उन्होंने अपनी बातें रखीं। पूजा के एक जवाब जिस पर मेरा दिल आ गया, वह था कि फैशन को क्यों महिलाओं के लिए हीन दृष्टि से देखा जाता है, जबकि फैशन भी महिलाओं को कॉन्फिडेंस देता है। ऐसी और भी काफी सशक्त बातें महिलाओं को लेकर पूजा ने की हैं, तो मैं महिला दिवस पर पूजा हेगड़े जैसी खास युवा अभिनेत्री की जवां सोच को आप तक पहुंचाना चाहूंगी।
ग्लैमरस रहना या फैशनेबल रहने में बुराई तो नहीं
पूजा हेगड़े से जब यह सवाल किया गया कि अब महिला दिवस को केवल ग्लैमरस और फैशन के रूप देखा जाने लगा है। इस पर पूजा ने बड़ी ही शिद्दत से जवाब दिया कि फैशन को हीन नजर से क्यों देखते हैं कि जो फैशनेबल है, वह गलत है।
पूजा कहती हैं
मुझे ऐसा लगता है कि अगर किसी महिला की बात हो रही है और फैशन की बात हो रही है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, मैं फैशन को गलत नजरिये से नहीं देखती हूँ, मुझे लगता है कि फैशन आपको खुद को एक्सप्रेस करने का एक अच्छा तरीका है, फिर उसको हीन दृष्टि से क्यों देखना है। आज जो मैंने कपड़े पहने हैं, मैं खुद में पावरफुल महसूस कर रही हूँ, क्योंकि मैं अच्छी दिख रही हूँ, तो इसमें हर्ज क्या है, मैं मानती हूँ कि फैशन और स्टाइल अगर आपके व्यक्तित्व को रिफ्लेक्ट करता है तो इसमें हर्ज क्या है।
वीमेन सेंट्रिक फिल्में तो कमाती रही हैं बॉक्स ऑफिस पर
पूजा का मानना है कि पता नहीं अभी यह बातें क्यों होती हैं कि इस फिल्म ने इतना कमाया, उस फिल्म ने उतना कमाया, अब वीमेन सेंट्रिक फिल्मों ने कमाना शुरू किया है, जब भी बहुत पहले से ऐसा होता हुआ आ रहा है।
पूजा विस्तार से कहती हैं
मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि लोग क्यों ऐसे वीमेन सेंट्रिक फिल्मों की बात करते हैं, मुझे ऐसा लगता है कि हमलोग ने खुद को कभी वैसे रिप्रेजेंट नहीं किया है, जितने स्ट्रांग तरीके से हमें खुद को रिप्रेजेंट करना चाहिए था। मुझे समझ नहीं आता कि हम पीछे मुड़ कर क्यों नहीं देखते हैं, जब हेमा मालिनी जी ने सीता और गीता जैसी फिल्म की थी, वह कितनी इंस्पायरिंग थी, वह ब्लॉकबस्टर थी, लेकिन पता नहीं मुझे समझ नहीं आता है कि हम यह क्यों भूल गए हैं कि फीमेल सेंट्रिक फिल्में वर्क करती हैं और काफी पुराने दौर से चली आई हैं, फिर चाहे वह मिली हों या फिर चालबाज हों, चांदनी फिल्म हो, हमने ऐसी फिल्में देखी हैं और यह खूब कामयाब रही हैं और फिर हमलोग यह कहते हैं कि नहीं यार ऐसी वीमेन सेंट्रिक फिल्में बिकती नहीं हैं, लेकिन अब मुझे ख़ुशी है कि गंगूबाई जैसी फिल्में कामयाब हो रही हैं, लोग अब ज्यादा पैसा लगा रहा है। मुझे ऐसा लगता है कि अभी बहुत सारी ऐसी कहानियां हैं, जिनका कहा जाना जरूरी है।
ऐंजेलिना जोली की तरह फिल्में करना चाहूंगी
पूजा ने वीमेन सेंट्रिक फिल्मों को करने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि वह एंजेलिना जोली की तरह फिल्में करना चाहेंगी।
वह कहती हैं
मैं चाहती हूँ कि मैं भी ऐसी कुछ फिल्में करूं और अगले जेनरेशन को इंस्पायर करूँ, कुछ एक्शन फिल्म से ही सही। मुझे मिस्टर एंड मिसेज स्मिथ देख कर मजा आया था,मुझे ऐंजिलिना जोली को गाउन में देखने में मजा आता है, लेकिन उसी समय उन्हें एक्शन करते देखना भी काफी पसंद आता है। और वह कितनी कूल लगती हैं।
बायोपिक फिल्म करने के बारे में पूजा का ख्याल है कि वह गायत्री देवी का किरदार निभाना चाहेंगी, उनके अनुसार वह काफी स्ट्रांग और क्लासी लेडी हैं और उनकी जिंदगी में ऐसा बहुत कुछ है, जिससे इंस्पायर हुआ जा सके। मैं गायत्री देवी का किरदार निभाना चाहूंगी, वह एक क्लासी लेडी हैं।
महिलाएं कहें मन की बात
पूजा खुल कर यह बात कहती हैं कि यह बेहद जरूरी है कि महिलाएं अपने मन की बात कहें
वह कहती हैं
न मुझे इसके साथ यह भी लगता है कि मैं महिलाओं को कहना चाहूंगी कि आप अपने मन की सुनें, आपकी आवाज आपकी ताकत होनी चाहिए, आप जो कहती हैं, वह आपकी पॉवर हो, अपनी कहानियों को लेकर सामने आइये और अपनी कहानी कहिये, मैं महिलाओं से कहना चाहती हूँ कि आप अपनी जिंदगी में वैसे जियें, जैसे आप किसी के लिए इंस्पीरेशन बनें, जैसे मैंने अपने आस-पास की अपनी महिलाओं से बहुत कुछ सीखा है। अगर एक लड़की भी मुझसे इंस्पायर होती है तो मुझे लगेगा कि मैंने कुछ अच्छा काम किया है। क्योंकि मैं मानती हूँ कि अगर आप एक लड़की की जिंदगी बदलती हैं तो आप एक पूरे परिवार की जिंदगी बदलती हैं, क्योंकि महिलाओं को नरचर्स माना गया है। मुझे ऐसा लगता है कि अगर किसी भी छोटे रूप में भी किसी महिला की जिंदगी को मैं इन्फ़्लुएंस कर पाई तो, यह मेरे लिए बड़ी बात होगी।
आर्ट का ही रहेगा कंट्रीब्यूशन
पूजा कहती हैं कि वह आर्टिस्ट हैं तो अपनी आर्ट के माध्यम से ही कंट्रीब्यूट करना चाहेंगी। मेरे पास मेरा सिर्फ आर्ट है, इसके अलावा कुछ नहीं तो मैं अपने आर्ट से लोगों को इंस्पायर चाहूंगी। जैसे लता मंगेशकर जी ने अपने आर्ट से उदाहरण दिया, मैं चाहती हूँ कि मेरे कंट्रीब्यूशन ऐसा हो कि लोग मुझे भी याद करें।
हर दिन महिला के लिए एक जंग है
पूजा मानती हैं कि हर दिन एक महिला किसी न किसी तरह की लड़ाई लड़ रही होती हैं।
वह कहती हैं
मुझे ऐसा लगता है कि हम महिलाएं हर दिन किसी न किसी रूप में अपना संघर्ष कर रही हैं, हर लड़की की अपनी जर्नी है। मुझे ऐसा लगता है कि बड़े युद्ध नहीं, जो महिलाएं हर दिन छोटे स्तर पर हर दिन अपनी लड़ाई लड़ रही हैं, उसपर ध्यान देना जरूरी है। उनको हिम्मत देनी जरूरी है।
आज भी होता है फर्क
पूजा इस बात को स्वीकारती हैं कि यह सच है कि हर क्षेत्र में आज भी औरत और पुरुष में फर्क होता है, जैसे अब भी हीरो से हीरोइन को वैनिटी और लग्जरी सेट पर कम मिलती है, इसमें कोई शक नहीं है। यह चीजें बदलनी ही होंगी। जरूरी है। लेकिन कब बदलाव होगा, सोच में यह कह पाना, बहुत मुश्किल है।
मेरी माँ हैं सुपरवूमन
पूजा अपनी माँ के बारे में कहती हैं कि उन्होंने अपनी माँ से बहुत कुछ सीखा है, उनकी माँ ने अकेले पूरे परिवार और बच्चों का ध्यान रखते हुए, अपने काम को भी तवज्जो दिया।
पूजा बताती हैं
मेरी माँ पता नहीं कैसे सब एक साथ मैनेज कर लेती थी, बच्चों के साथ-साथ पूरे घर को संभालती थी, सबकी पढ़ाई, खाना पीना सबकुछ। हमलोग जॉइंट फैमली में रहे हैं, और मैंने देखा है कि माँ कैसे सबके लिए खाना बनाती थीं। वह साथ में कम्प्यूटर साइंस का बिजनेस भी रन करती थी, हमें स्कूल भेजती थीं, खाना बनाती थीं, कपडे धोती थीं, फिर से वापस आकर काम करती थीं। मुझे कभी माँ को टास्क नहीं लगा, लेकिन मुझे यह सब करने में टास्क लगता है। हाल में जब मेरे घर में कुछ बच्चे आये थे, वो लोग सिर्फ खाते थे और यहाँ वहां गन्दा करते थे, मुझे लगता कि मेरी माँ कैसे करती होगी, मैंने माँ से मल्टी टास्किंग सीखा है। मेरी माँ ने सिखाया खुद के लिए रिस्पेक्ट रखना बेहद जरूरी है।
वाकई, पूजा हेगड़े के यह सारे विचार जान कर, महिलाओं के लिए सम्मान और बढ़ता है और एक ताकत भी महसूस होती है कि एक युवा अभिनेत्री ऐसे विचार रख रही हैं, जिससे कि कई महिलाओं को ताकत मिलेगी। पूजा का मानना है कि अगर वह एक लड़की को भी अपनी जर्नी से इंस्पायर कर पाती हैं तो यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी, उनकी इस बात में मुझे बहुत दम नजर आया और मैं उम्मीद करती हूँ कि पूजा इसी तरह महिलाओं को इंस्पायर करती रहें।