लता मंगेशकर का जाना, एक युग और अध्याय के खत्म होने जैसा है। आम लोगों के लिए भारत रत्न से सम्मानित गायिका लता मंगेशकर हमेशा ही आदरणीय रहीं। लता जी के सफर की ऐसी कई बातें हैं, जो हर जेनरेशन को प्रभावित करेंगी, लेकिन एक बात जिसने मुझे हमेशा ही प्रभावित किया कि लता जी ने अपने अंतिम दिनों में भी प्रतिभाओं की हौसलाफजाई में कोई कमी नहीं की कभी। वह सोशल मीडिया पर चाहे जिस माध्यम से भी हों, एक्टिव होती थीं और उन्हें टीवी पर जो भी शोज या किसी प्रतिभाशाली कलाकार का काम पसंद आता तो, वह खूब पीठ थपथपा देती थीं। लता जी को कपिल शर्मा के शो से भी प्यार था, तो दूसरी तरफ वह खूब रिएलिटी शो भी देखा करती थीं। टीवी इंडस्ट्री में या फिर फिल्म इंडस्ट्री में कोई भी नवोदित कलाकार आये और लता जी को उनका काम पसंद आये, तो वे चंद शब्द ही सही जरूर सोशल मीडिया पर लिखा करती थीं। यही वजह रही कि उन्होंने जिन फ़नकारों और म्यूजिक निर्देशकों के साथ काम किया और काम नहीं भी किया, वे लता जी के बस स्नेह भर से सुकून पा लेते थे। उन्हें चाहने वाले फनकार उन्हें दीदी तो कुछ उन्हें माँ कह कर पुकारते थे। सोनू निगम, ललित, उदित नारायण और उत्तम सिंह जैसे कई आवाज और म्यूजिक दुनिया के फनकार हैं, जिन्हें लता मंगेशकर जी का स्नेह मिलता रहा है, तो उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए वह इस कदर उन्हें याद करते हैं।
पूरा भारत भ्रमण कर लेना चाहती थीं लता जी : सोनू निगम
सोनू निगम को लता जी बेहद प्यार करती थीं, वह उनके चुनिंदा प्रिय गायकों में से एक रहे हैं। सोनू को कई बार लता जी का स्नेह मिला है। लता जी को श्रद्धांजलि देते हुए वह लता जी के साथ बिताये पलों को याद करते हैं।
वह कहते हैं मैं उन चुनिंदा लोगों में से एक हूँ, जिन्हें उनका इंटरव्यू करने का मौका मिला था और उन्होंने यह बातें शेयर की थीं कि उन्हें पूरे भारत को एक बार अपनी आँखों से देखने की इच्छा थी, वह भारत भ्रमण पर जाना चाहती थीं, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें वह मौका कभी नहीं मिला। इसके अलावा लता जी के प्रिय सिंगर में से एक रहे कुंदन लाल सहगल के साथ कभी गाने का मौका नहीं मिल पाना अभी उन्हें अफ़सोस देता है। सोनू ने लता जी के जाने पर ऐसा महसूस किया, जैसे एक बार फिर से उन्होंने अपनी माँ को खो दिया।
हंसी-मजाक करते हुए गाये हैं हमने लता जी के साथ गाने : उदित नारायण
उदित नारायण उन सौभग्यशाली फ़नकारों में से एक हैं, जिन्हें लता जी के साथ काफी गाने गाने का मौका मिला है। यश चोपड़ा की फिल्में और यशराज की फिल्मों में दोनों ने साथ में खूब गाने गाये हैं। उदित को लता जी का ‘प्रिंस ऑफ़ प्ले बैक सिंगिंग’ का खिताब देना आज भी याद आता है। उदित के माता-पिता लता जी के फैन थे। उदित ने लता जी से जुड़ीं अपनी यादों को शेयर करते हुए कहा कि मेरे पास लता जी का एक ऑटोग्राफ है, जिसे मैंने हमेशा संभाल कर रखा है। उदित बताते हैं कि लता दीदी के साथ गाना मेरे लिए एक सपने जैसा था। यह सपना फ़िल्म ‘बड़े दिलवाला’ फ़िल्म में पूरा हुआ था। मुझे फिल्म ‘बड़े दिलवाला’ में लता दीदी के साथ गाने का मौका मिला था। मैं शुरू में उनको सामने देख कर नर्वस होता था, क्योंकि वह मुझे गाते हुए सुनती रहती थीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने ही मुझे सहज किया और हमने एक साथ कई सारे गाने गाये। उदित कहते हैं कि लता जी दूसरों की तारीफ करने में कोई कौताही नहीं करती थीं। अगर आप अच्छे लग रहे हैं तो स्टेज पर ही कह देंगी कि तुम बहुत अच्छे लग रहे हो। वह एक बार मेरे घर पर आई थीं और दार्जलिंग वाली चाय पीकर बहुत खुश हुई थीं। उदित को लता जी ने एक सोने की चेन दी थी, जिसे वह हमेशा अपने पास संभाल कर रखेंगे।
खाने -पीने की शौक़ीन और कोल्ड ड्रिंक्स तो थे फेवरेट लता जी के : उत्तम सिंह
मशहूर संगीत निर्देशक उत्तम सिंह के साथ लता जी ने कई फिल्मों के गानों के लिए काम किया है। उत्तम सिंह लता जी को याद करते हुए बताते हैं कि उनके लिए किस तरह गाने से पहले रियाज करना हमेशा जरूरी होता था। अगर लता जी का गाला ठीक न हो तो वह कभी गाना नहीं गाती थीं। रिकॉर्डिंग से पहले वह रूम के बाहर ही जूते उतार देती थी और बैठ कर, नहीं हमेशा खड़े होकर ही गाना पसंद था उनको। अगर उनसे कोई ब्रेक में भी कहे कि बैठिये तो वह नहीं बैठती थीं। लता जी को यूं तो खाने-पीने का शौक रहा हमेशा, लेकिन रिकॉर्डिंग के दौरान वह हेवी खाना पसंद नहीं करती थीं। केवल शहद पानी ही पीना पसंद करती थीं। उत्तम सिंह ने एक मजेदार बात यह भी बताई कि अमूमन सिंगर्स को ठंड खाने से परहेज होता था, लेकिन लता जी मजे से खाती-पीती थीं, कोला उनका फेवरेट हुआ करता था। वह भी बर्फ डाल कर पीती थीं। लता जी को जोक्स सुनना भी बेहद पसंद था, मनोज कुमार उन्हें काफी जोक्स सुनाया करते थे। यही नहीं, लता जी अपने चाहने वालों को हमेशा तोहफे के रूप में कुछ न कुछ दिया करती थीं। उत्तम सिंह बताते हैं कि लता जी हमेशा ही वक़्त की पाबंद रही हैं। वह न तो किसी को इंतजार करवाती थीं और न ही किसी का इंतजार करती थीं। उत्तम सिंह ने यह भी बताया कि लता जी को कुत्तों से भी बेहद प्यार था।
वाकई, वे फनकार बहुत लकी हैं कि उन्हें लता जी से किसी न किसी रूप में जुड़ने का मौका मिला, इन सभी ने जो कुछ भी लता जी से सीखना है, वह काफी इंस्पायरिंग है, न सिर्फ इनके लिए, बल्कि हम सबके लिए भी कि किस तरह अपने काम की पूजा की जानी चाहिए, किस तरह से काम के प्रति आपकी श्रद्धा होनी चाहिए और साथ ही काम के साथ-साथ जिंदगी को भी जिंदादिली से जीना चाहिए। मैं तो वाकई, उनकी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं से कुछ न कुछ सीखते रहना चाहूंगी।