फिल्म ‘देवदास’ में पारो बहुत गुस्से में आकर चंद्रमुखी से मिलती है, पारो को लगता है कि चंद्रमुखी ने ही देवदास को नशे की लत लगाई है। लेकिन फिर दोनों मिलती हैं और दोनों अपने-अपने देव की बातें करती हैं और एक दूसरे की ऋणी हो जाती हैं। देवदास में पारो और चंद्रमुखी के बीच फिल्माया गाना ‘ढोला रे’ महज एक सांग नहीं है, बल्कि इस गाने में दो ऐसी स्ट्रांग वीमेन का चित्रण है, जो एक ही शख्स से प्रेम में हैं। लेकिन दोनों के प्यार करने का तरीका अलग है। इस गाने में सिर्फ मुझे ऐश्वर्य राय बच्चन और माधुरी दीक्षित की खूबसूरती नहीं, बल्कि दो ऐसी महिलाएं नजर आई हैं, जो अपने प्रेम के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं और उन्हें दुनिया को यह बताने में कोई हर्ज नहीं कि हाँ वह एक ही शख्स से प्रेम करती हैं। फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ की नंदिनी बार-बार अपनी मां को कहती है, माँ उसने मेरी आत्मा को छू लिया है मां, नंदिनी दौड़ कर जाती है, लेकिन समीर उसे स्टैचू कह देता है, वह वहीं पत्थर बनी रह जाती है। लेकिन शादी की पहली रात ही वह अपने पति को सब सच बता देती है। फिल्म ‘खामोशी’ की नायिका अपने माता-पिता को किसी हाल में न छोड़ने की कसम खाती है। मेरा मानना है कि ‘पद्मावत ‘की रानी पद्मावती, ‘बाजीराव मस्तानी’ की मस्तानी और काशी, ‘गोलियों की रासलीला रामलीला’ की लीला से लेकर गंगूबाई तक, संजय लीला भंसाली ने वीमेनहुड को सेलिब्रेट किया है। मैं यकीनन यह बात मानती हूँ कि संजय लीला भंसाली उन निर्देशकों में से हैं, जिन्होंने अभिनेत्रियों को सिर्फ पोस्टर गर्ल बना कर नहीं रखा है, बल्कि उनके स्ट्रांग पहलुओं को अपने अंदाज़ में अलग-अलग किरदारों के माध्यम से दर्शाया है। उनकी फिल्मों की अभिनेत्री का रूप निखरा नजर आता है तो उस रूप के पीछे छुपी, एक सशक्त महिला भी। आलिया भट्ट के साथ गंगूबाई काठियावाड़ी से भंसाली अपने करियर की दसवीं फिल्म की फेहरिस्त पूरी कर रहे हैं। ऐसे में एक नजर मैं उनकी फिल्मों की सशक्त महिला किरदारों पर डालनी चाहूंगी।
‘बाजीराव मस्तानी’ की काशीबाई और मस्तानी
फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण ने मुख्य किरदार निभाए हैं। इस फिल्म में मुझे व्यक्तिगत रूप से वे सारे दृश्य बेहद पसंद आये हैं और मेरे लिए यादगार हैं, जिसमें काशी और मस्तानी एक दूसरे के आमने-सामने होती हैं। काशी अपना पति धर्म निभाती हुई, अपनी सौतन को भी पनाह देती है। तो मस्तानी बुरे हालात में झुकने को तैयार नहीं होती हैं। इस फिल्म में दोनों ही किरदारों को संजय लीला ने काफी स्ट्रांग बनाया है। और फिल्म का पिंगा सांग तो दोनों के सशक्त अभिनय का सेलिब्रेशन है ही। एक प्रेमिका और एक पत्नी महिलाओं की दो महत्वपूर्ण भूमिकाओं को खूबसूरती से इस फिल्म में दर्शाया गया है। इस फिल्म में मस्तानी का एक दमदार डायलॉग है, ‘योद्धा हूँ, ठोकर पत्थर से भी लगे, तभी हाथ तलवार पर जाता है’। इस एक डायलॉग में मस्तानी के दमदार व्यक्तित्व को स्थापित कर दिया गया है। वहीं काशीबाई कहती है कि ‘आप हमसे हमारी जिंदगी मांग लेते, हम ख़ुशी-ख़ुशी दे देते, आपने तो हमसे हमारा गुरुर छीन लिया’। प्रियंका को मैंने जब यह संवाद बोलते सुना था, कुछ क्षण के लिए मैं स्तब्ध हो गई थी, इस तरह इस संवाद ने मुझ पर असर किया था।
देवदास की पारो और चंद्रमुखी
देवदास की कहानी सिर्फ देवदास की नहीं है। यह चंद्रमुखी और पारो के बिना पूरी नहीं हो सकती है। इस फिल्म में जिस तरह से माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्य राय बच्चन ने अपने स्ट्रांग पहलुओं को दर्शकों के सामने रखा है। यह फिल्म कई सालों तक याद रखी जायेगी। दोनों ही अभिनेत्री जितनी खूबसूरत इस फिल्म में नजर आयी हैं, वह तो कमाल है ही, साथ ही पारो और चंद्रमुखी के बीच देवदास को लेकर जो बोले गए महत्वपूर्ण संवाद हैं, वह भी हमेशा यादगार रहेंगे। इस फिल्म में माधुरी का एक संवाद बेहद ठोस है ‘औरत माँ होती है, बहन होती है, पत्नी होती, दोस्त होती है और जब कुछ नहीं होती है तो वह तबायफ होती है। इस एक डायलॉग में एक औरत के दर्द को बयां कर दिया गया है।
पद्मावत की रानी पद्मावती
दीपिका पादुकोण के फ़िल्मी करियर में ‘पद्मावत’ हमेशा यादगार फिल्म रहेगी। इस फिल्म में दीपिका को न सिर्फ भंसाली ने एक खूबसूरत अंदाज़ दिया है, बल्कि जिस नफासत के साथ उन्होंने इस किरदार निभाया है और साथ ही एक योद्धा तरह नजर आई हैं, हर एक महिला के लिए यह फिल्म एक प्रेरणा है। फिल्म में दीपिका के अभिनय की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है।
रामलीला की लीला
इस फिल्म में एक लड़की अपने परिवार के विरोधी परिवार के लड़के को दिल दे बैठती है। खूब हंसी-ठिठोली का माहौल होता है। लेकिन कुछ ऐसा होता है कि परिस्थिति बदल जाती है। फिर किस तरह से एक बेपरवाह लड़की, अपने वंश और परिवार को बचाने के लिए गद्दी पर बैठती है। इस फिल्म में दीपिका के किरदार में जो ट्रांजिशन हुआ है, वह कमाल का है। यह दीपिका के दमदार भूमिकाओं वाली फिल्मों में से एक है।
आलिया भट्ट ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में
‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ का ट्रेलर सामने आ चुका है। इस फिल्म में आलिया भट्ट गंगू के किरदार में हैं। आलिया पहली बार संजय लीला भंसाली के साथ काम कर रही हैं और ट्रेलर देखने के बाद, मैं तो यह बात पूरे यकीन से कह सकती हूँ कि आलिया इस किरदार से एक अलग ही लीग में शामिल होने वाली हैं। उन्हें न सिर्फ लुक में, बल्कि कई दमदार संवाद दिए गए हैं। यकीनन दर्शकों को आलिया का यह नया रूप बेहद पसंद आने वाला है। इस फिल्म के कई संवाद अभी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
ब्लैक की रानी मुखर्जी
संजय लीला की यादगार फिल्मों में से एक रहेगी ‘ब्लैक’, इस फिल्म में रानी मुखर्जी ने अपने करियर का बेस्ट परफॉर्मेंस दिया है। अमिताभ बच्चन के साथ रानी मुखर्जी ने जिस तरह से अभिनय किया है। बिना संवाद वाली यह फिल्म कई मायनों में अर्थपूर्ण फिल्म है।
आँखों की गुस्ताखियाँ वाली नंदिनी
संजय लीला भंसाली के करियर की दूसरी फिल्म थी ‘हम दिल दे चुके सनम’, इस फिल्म में उन्होंने नंदिनी के रूप में ऐश्वर्य राय बच्चन की खूबसूरती जिस तरह से दर्शाई है, वह कमाल रही है। शायद ही ऐश्वर्य की आँखों को इतना खूबसूरत किसी और फिल्म में दिखाया गया था।
इन फिल्मों के अलावा, ‘गुजारिश’, ‘सांवरियां’ और ‘ख़ामोशी’ में भी भंसाली ने अपनी महिला किरदारों को स्ट्रांग रखा है। मैंने तो इस बारे में लिखते-लिखते , अभी तय कर लिया है कि मैं बैक टू बैक यह सारी फिल्में फिर से देखने वाली हूँ और 25 फरवरी से पहले ही इन सभी को देख डालूंगी, क्योंकि उस दिन तो ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ आ रही है और मैं बहुत यकीन से कह सकती हूँ कि इन फिल्मों के एक बार और देखने के बाद, भंसाली की महिला किरदारों का कोई न कोई और नया पहलू मेरे सामने जरूर आएगा, जिसके बारे में फिर आगे बताऊंगी। फिलहाल तो मुझे ‘गंगूबाई’ का इंतजार है।