संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में आलिया भट्ट मुख्य किरदार में हैं और उन्होंने इस किरदार में जान डाल दी है। उन्होंने इस किरदार को सार्थक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन बात जब संजय लीला भंसाली की फिल्मों की होती है, तो केवल फिल्म के लीड किरदार पर बात करके, नहीं ठहरा जा सकता है, क्योंकि भंसाली की फिल्मों के हर किरदार, उनके लिए अहम होते हैं और उन्हें रचने और गढ़ने में वह उतनी ही शिद्द्त दिखाते हैं कि वे किरदार जब पर्दे पर आते हैं, तो जीवंत हो उठते हैं। कुछ ऐसा ही जादू, इस बार भंसाली की फिल्म में अभिनेता और लोकप्रिय कोरियोग्राफर शांतनु माहेश्वरी के किरदार के साथ हुआ है। शांतनु ने फिल्म में आलिया भट्ट के एक ऐसे प्रेमी की भूमिका निभाई है, जिसे सिर्फ प्यार की भाषा समझ आती है, वह गंगूबाई को हीन दृष्टि से नहीं देखता है। मैंने जब यह फिल्म देखी, तो महसूस किया कि शांतनु ने अपने किरदार को बेस्ट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, खासतौर से फिल्म में उन्हें संवाद कम, एक्सप्रेशन ज्यादा मिले हैं, शायद वह एक बेहतरीन डांसर भी हैं, इसलिए उन्होंने अपने एक्सप्रेशन से प्रभावित किया है। वाकई में, सिर्फ संजय लीला भंसाली ही नहीं, उनकी माँ की भी पारखी नजर को मानना होगा, जिन्होंने सबसे पहले शांतनु को एक शो के दौरान स्पॉट किया और भंसाली को उनके बारे में बताया। शांतनु इस वक़्त बेहद खुश हैं और उन्होंने मुझसे अपने इस फिल्म के स्पेशल अनुभव के बारे में काफी सारी बातें शेयर की हैं।
भंसाली सर की माँ ने किया था मुझे स्पॉट
शांतनु माहेश्वरी बताते हैं कि उन्हें इस बात की जानकारी बिल्कुल नहीं थी, लेकिन हाल में उनको यह पता चला कि भंसाली सर की माँ ने उन्हें किसी शो में देखा था।
वह कहते हैं
मैंने हालाँकि ऑडिशन ही दिया, काफी सारे ऑडिशन दिए। जिस सीन का ऑडिशन दिया था, वह सीन फिल्म में नहीं है, लेकिन मुझे ख़ुशी है कि मुझे इस फिल्म में काम करने का मौका मिला है। हाल ही में जब मुझे यह पता चला कि मुझे ऑडिशन से ही चुना गया है, लेकिन भंसाली सर की माँ ने किसी शो में मुझे देखा था और उन्होंने मेरा नाम सर को सुझाया था कि जैसा किरदार वह ढूंढ रहे हैं, शायद मैं वैसा किरदार कर सकता हूँ, फिर काफी सारे राउंड के बाद, मुझे यह रोल मिल गया।
मुझे विश्वास नहीं था कि सेलेक्शन हुआ है
शांतनु कहते हैं
मुझे जब कॉल आया कि मेरा सेलेक्शन हुआ है, मुझे बिल्कुल विश्वास नहीं हुआ था, क्योंकि भंसाली सर का क्राफ्ट जैसा है, वह काफी पर्फेक्टनिस्ट हैं, वह यूं ही किसी को नहीं लेंगे, मुझे जब पता चला तो मेरा तो फर्स्ट रिएक्शन था कि मैं तो एकदम चुप हो गया था, समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। क्या कहूँ। लेकिन मैं खुश हूँ कि इतनी बड़ी फिल्म से मुझे फिल्मों में कदम रखने का मौका मिला है। मुझे अब भी याद है कि भंसाली सर ने. कैमरे पर जब मेरे फीचर्स देख रहे थे, मुझे लग रहा था, पता नहीं क्या होगा आगे। लेकिन सर ने हमेशा माहौल पर हँसते-खेलते ही बिताया, उनके बारे में लोगों को लगता है, वह सीरियस रहते होंगे, लेकिन वह सीरियस नहीं बल्कि पैशिनेट हैं काम को लेकर, बारीकियों को लेकर और उसमें कमी बर्दाश्त नहीं करते हैं, लेकिन इसका मतलब नहीं है कि वह हमेशा कोई गुस्से में या सीरियस मूड में ही रहते हैं। हमलोग हर सीन को लेकर काफी ब्रेन स्ट्रॉमिंग करते थे, लेकिन मुझे लगता है कि इससे आपका काम आसान होता है, इसे सर के पैशन के रूप में ही देखा जाना चाहिए।
आलिया भट्ट हैं खुशमिजाज
शांतनु के लगभग सीन आलिया के साथ ही हैं, वह कहते हैं कि वह बिल्कुल नर्वस नहीं थे, काम करते हुए, क्योंकि एक्ट से पहले भंसाली उन्हें अच्छे से सबकुछ समझाते थे और काफी रिहर्सल के बाद टेक्स होते थे, तो कोई भी किरदार बिना तैयारी के सेट पर नहीं आता था। इसलिए कोई परेशानी वाली बात नहीं थी, सभी की अपनी तैयारी रहती थी। आलिया अपने को-स्टार्स के साथ बहुत प्यार से रहती हैं, यहाँ तक कि क्रू के साथ भी। वह काफी सम्मान भी करती हैं, उनमें कोई स्टारी ट्रीटमेंट नहीं है, इसलिए उनके साथ काम करके अच्छा लगा।
टीवी एक्टर्स के प्रति बदला है अप्रोच
बॉलीवुड की दुनिया में कहीं न कहीं अब भी टीवी की दुनिया से आये एक्टर्स के साथ थोड़ी हिचक रहती है। लेकिन शांतनु कुछ अलग सोच रखते हैं।
शांतनु कहते हैं कि
पहले से काफी बदलाव हुए हैं, अब तो बड़े स्टार्स भी टीवी का रुख करने लगे हैं और आने वाले समय में अब सिर्फ बेस्ट एक्टर चलेंगे, फिर वह कहीं से भी हों, मीडियम का दायरा अब टूटा है।
हर तरह के एक्सपेरिमेंट
शांतनु कहते हैं कि वह हर तरह के रोल में एक्सपेरिमेंट करना चाहते हैं, उन्हें ऐसे में अगर कोई ऐसी भी फिल्म मिले, जिसमें वह नेगेटिव किरदार में हो और दमदार हो, तो वह जरूर करना चाहेंगे और वह बॉलीवुड के हर उम्दा निर्देशकों के साथ काम करना चाहते हैं।
डांसिंग स्किल्स काम आये अभिनय में
शांतनु एक बेहतरीन डांसर हैं, वह अपना डंका विदेशों में भी बजा चुके हैं। वह कहते हैं कि उनके यह स्किल अभिनय में भी काम आये
शांतनु कहते हैं
हाँ, यह सच है कि भंसाली सर एक्सप्रेशन के निर्देशक हैं, ऐसे में जब मैं उनकी इस फिल्म का हिस्सा बना, तो मुझे कम संवाद बोलने थे, एक्सप्रेशन ही अधिक थे। ऐसे में मेरी डांसिंग स्किल्स काम आयी, क्योंकि डांस में हमलोग एक्सप्रेशन पर काफी काम करते हैं, तो अभिनय के साथ इस पर काम करने में परेशानी नहीं हुई।
भंसाली सर अपने आप में हैं इंस्टीट्यूशन
शांतनु ने भंसाली के साथ काम करके बहुत कुछ सीखा
वह कहते हैं
भंसाली सर ने मैंने सीखा कि अगर आप किसी चीज को लेकर स्पष्ट हैं, तो फिर उस पर कभी संदेह नहीं करें, कॉन्फिडेंट रहें। अगर आपको लगता है कि आपने अपने लिए सही रास्ता चुना है, तो फिर उस रास्ते में आगे बढ़ो, फिर दूसरे को क्या लगता है, यह जानना जरूरी नहीं है।
गंगूबाई रहेंगी मिसाल
शांतनु कहते हैं कि वह गंगूबाई से पूरी तरह से इंस्पायर रहेंगे, क्योंकि वह एक ऐसी महिला थी, जो दूसरे के बारे में सोचती है, समाज हित में अपना प्यार भी लुटा देती है, जिस छोटी उम्र में वह नरक की उस दुनिया में जाती है, वहां वह उन महिलाओं के लिए हक़ के लिए लड़ती है, ऐसी मिसाल वाली औरतों का जीवन में होना बेहद जरूरी है।
वाकई, मैंने शांतनु की जर्नी देखी है और मैं इस बारे में भी वाकिफ हूँ कि उन्होंने एक मुकाम हासिल करने के लिए कितनी मेहनत की है, ऐसे में उन्हें एक बड़ा मौक़ा मिला है और अच्छी बात है कि उन्हें सिर्फ करने के लिए यह किरदार नहीं मिला है। इस किरदार की अपनी खूबी है कि वह प्यार करता है एक वैश्या से और शादी करने को भी तैयार है। गंगूबाई की जिंदगी में वह रंग भरता है, जो हमेशा प्यार की चाहत करती है, लेकिन उसे पुराने प्रेमी से धोखे मिलते हैं, लेकिन शांतनु के किरदार गंगू की जिंदगी में वह प्यार दोबारा लाता है। ऐसे में शांतनु को फिल्म में नजर अंदाज़ नहीं किया जा सकता है। शांतनु के लिए एक अच्छी शुरुआत है और आगे भी वह फिल्मों में शानदार अभिनय करते रहेंगे पूरी उम्मीद है।