संजय लीला भंसाली के साथ जिन भी अभिनेत्रियों ने काम किया है, वह उन्हें टफ टास्क मास्टर ही मानती हैं। लेकिन उनकी आने वाली फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी’ में लीड किरदार निभा रहीं आलिया भट्ट की सोच इससे एकदम विपरीत है। वह भंसाली को लेकर एक अलग ही ख्याल रखती हैं। हाल ही में आलिया भट्ट ने अपनी बातचीत में कहा कि मैं भंसाली सर को टफ टास्क मास्टर नहीं, बल्कि परफेक्शनिस्ट मानती हूँ। आलिया ने और भी कई दिलचस्प बातें संजय लीला भंसाली और फिल्म को लेकर की हैं।

आलिया भट्ट पूरी तरह से संजय लीला भंसाली के निर्देशन की फैन हो चुकी हैं, वह कहती हैं कि कई लोग उन्हें टफ टास्क मास्टर कहते हैं, लेकिन मुझे बस यह कहना है कि वह अपने सेट पर चाहते हैं कि कोई भी आया है, तो एकदम तैयारी से आये, न कि बिना मन के, ऐसे में न तो उन्हें काम करने में मजा आता है, न ही औरों को। इसलिए वह सबकुछ पहले से रिहर्सल और परफेक्ट कर लेना चाहते हैं, इसलिए वह बाकी सबको भी ऐसा ही करने को कहते हैं, क्योंकि भंसाली सर जिस तरह की फिल्में बनाते हैं, उसमें थोड़ी सी कमी फ़ौरन पकड़ में आ जाएगी और वह सही नहीं है। वह हर इंसान से अपना 10 हजार गुना बेस्ट की डिमांड करते हैं,  क्योंकि वह अपना बेस्ट देते हैं। वह आपके अल्टीमेट पोटेंशियल को पहचान कर,आपको आगे बढ़ने के लिए मौके देते हैं, सबसे अच्छा और बेस्ट परफॉर्मेंस निकलवाने के लिए ऐसा करते हैं, आपकी जो सीमा है उससे पार ले जाने की कोशिश करते हैं।

Source: Instagram I @aliaabhatt

आलिया ने ‘गंगूबाई  काठियावाड़ी’ से पहले फिल्म ‘राजी’ में भी एक रियल बेस्ड किरदार निभाया है, एक बार फिर से वह रियल किरदार निभा रही हैं।

इस बारे में आलिया कहती हैं कि

आप जब भी पीरियड ड्रामा करते हो, तो मेकअप डिपार्टमेंट में, हेयर डिपार्टमेंट में काफी रिसर्च वगैरह होता है, ताकि कैरेक्टर का लुक बने, इस फिल्म में भंसाली चाहते थे कि गंगूबाई के किरदार के बारे में यह इन्फॉर्मेशन था कि वह काफी बन ठन के चलती थीं, वह ड्रेस अप बहुत होती थी, तो सर चाहते थे कि उसका व्हाइट साड़ी लुक बन जाये कि वह सफेद साड़ी बहुत पहनती थी, लाल बिंदी लगाती थी, बालों में फूल लगाती थी। तो जब किसी भी किरदार का 50 प्रतिशत लुक आता है और बाकी का डायलेक्ट और ऐक्सेंट से करते हैं, जो हमने भी इस फिल्म से करने की कोशिश की है, क्योंकि सर चाहते थे कि जैसे-जैसे उसकी पॉवर बढ़ती जाती है, उसके वॉइस में भी भी वह हेवीनेस समझ आना चाहिए।

आलिया ने ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’के किरदार से क्या सीखा इस बारे में

वह कहती हैं

मैंने गंगूबाई के औरतों को लेकर जो एक प्रोस्पेक्टिव है, उसको अच्छी तरह से सीख लिया है। मुझे गंगूबाई की यह बात इम्प्रेस कर गई कि वह अपनी लाइफ की सबसे कठिन सिचुएशन को पॉवरफूल सिचुएशन में बदल देती है। गंगूबाई उन लोगों के लिए एक उदाहरण है कि चाहे आप जिंदगी में कितनी भी बुरी सिचुएशन में क्यों न हों, लेकिन सिर्फ अपने बारे में न सोचें, दूसरे के लिए भी सोचें, जैसे गंगूबाई औरतों के लिए लड़ती है। और उन्होंने कोशिश की कि कानूनी हक़ अच्छे से मिले,जो उनसे छीन लिए गए हैं।

आलिया ने अपने काठियावाड़ी में बोली जाने वाली डायलेक्ट के बारे में बात करते हुए कहा

मेरी एक डायलेक्ट कोच थीं भक्ति, जिन्होंने मुझे डायलेक्ट पर काम करवाया, हालाँकि मुझे बहुत कुछ नहीं करना था, हमारी यही कोशिश थी कि काठियावाड़ी जो ट्वेंग है, डायलेक्ट है जो समझ आये। मैंने इस फिल्म के लिए लगभग दो सालों तक काम किया है, मैंने इस दौरान कोई और फिल्म शूट नहीं की थी। इसलिए भी मैंने दो साल इस किरदार को पूरी तरह से जिया है और अब तो दर्शक ही देखेंगे और बताएँगे कि मैंने अच्छा किया है या नहीं।मैंने इससे पहले कभी किसी किरदार को इतना समय नहीं दिया था।

आलिया अपने किरदारों में संजीदा नजर आती हैं, इस बारे में खुद आलिया कहती हैं कि यही सच भी है कि मैं रियल लाइफ में भी बहुत सेंसिटिव इंसान हूँ, क्रिएटिव इंसान हूँ, मैं कोई जब पार्ट प्ले करती हूँ, तो मेरे अंदर वह सेंस्टिविटी आ जाती है और मैं लोगों की एनर्जी को लेकर भी बहुत सेंसिटिव हूँ। यह मेरी पर्सनालिटी है।

आलिया ने यह भी साफ़ बताया कि कई जगह यह खबर आई थी कि मैं मिली हूँ कमाठीपुरा में जाकर वहां की महिलाओं से, लेकिन मैं नहीं गई कभी। मैंने और सर ने दरअसल, जो बातें की, उसी से हमारे बीच वह कैरेक्टर तैयार हो गया था। आलिया ने बताया कि इस फिल्म के लिए उन्होंने मीना कुमारी, मधुबाला के पुराने वीडियोज देखें, क्योंकि भंसाली चाहते थे कि वह ओल्ड वर्ल्ड ग्रेस आँखों में आये और पॉवर और स्ट्रेंथ बॉडी में आये, तो मैंने ऑब्जरवेशन के लिए हाँ कहा। आलिया ने यह भी कहा कि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि मेरी उम्र को लेकर लोग क्या कहेंगे, मुझे ऐसे कोई इश्यू नहीं हैं।

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आलिया भट्ट ने यह भी साफ़ तौर पर कहा है कि वह नंबर वन में कोई बिलीव नहीं करती हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सिनेमा एक क्रिएटिव मीडियम है, तो कल पांच डिब्बा फिल्म करूंगी, तो लोग मुझे क्या कहेंगे। इसलिए मेरा मानना है कि हम सारे कलाकारों की अपनी एक यूनिकनेस और विशेषता है। आप उसे एक दूसरे से तुलना नहीं कर सकते हैं।


वाकई, आलिया की बातें सुन कर यह बात तो समझ आ रही है मुझे कि उन्होंने इस किरदार को लेकर काफी मेहनत की है, उन्होंने पूरे दो सालों तक सिर्फ इसी फिल्म पर काम किया है, दूसरी फिल्म पर नहीं, इससे भी उनका समर्पण नजर आता है।  मेरा तो मानना है कि आलिया के लिए यह फिल्म एक अलग ही ऊंचाइयां लाने वाला है।