फर्ज कीजिए, मुझे कोई बहुत ही मामूली सी बीमारी हुई हो और मैं एक अस्पताल में इस उम्मीद से गयी हूँ कि मैं वहां बिल्कुल ठीक होकर लौट आऊंगी और अचानक ही वहां डॉक्टर मुझे बिना बताये, एक ऐसा इंजेक्शन या कोई दवा मुझे दे दें, जिसका मेरी मामूली सी बीमारी से कोई ताल्लुक नहीं है। इसकी महज कल्पना भर से मुझे गूजबंप्स हो रहे हैं, कुछ ऐसे ही भयावह सच का पर्दाफाश करती हुई सीरीज आई है डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर ‘ह्यूमन’। 10 एपिसोड वाली यह एक ऐसी बेहतरीन सीरीज है, जिसे विपुल अमृतलाल शाह और मोजेज सिंह ने संयुक्त रूप से मिल कर बनाया है, जिसमें मुझे पहले एपिसोड से ही बात समझ में आ जाती है कि आगे खेल क्या होने वाला है, कहानी किस तरफ करवट करने वाली है। लेकिन सीरीज की मेकिंग इस कदर है कि आगे क्या होगा, अगले पल क्या होगा वाली जो फीलिंग है, वह पूरे एपिसोड्स देखने के दौरान बरकरार रहती है।
इस सीरीज में वह सबकुछ है, जो मेरे जैसे दर्शक, जिन्हें मेकर्स से थ्रिलर के साथ-साथ अच्छे परफॉर्मेंस की भी अपेक्षा रहती है, मेरी उस क्रिएटिविटी देखने की चाहत की भूख को पूरी तरह इस शो ने संतुष्ट किया है। यह सीरीज देखने के बाद मेडिकल की दुनिया से जुड़े कितने घिनौने स्कैम व स्याह पहलू मेरे सामने आये हैं और अब मेरी रिस्पेक्ट, मेरे उन डॉक्टर दोस्तों के लिए बढ़ गई है,जो बड़ी ईमानदारी से अपना काम करते हैं, ठीक इस सीरीज की किरदार डॉ सायरा की तरह, जो मासूमों के साथ खड़ी होती है। इस सीरीज ने मुझे इसलिए भी प्रभावित किया है, क्योंकि इसमें भाषणबाजी वाले डायलॉग या ओवर द टॉप कहानी को बिना बिखेरे, जिस मुद्दे पर बात शुरू की गई, उसी पर खत्म की गई है। अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की लालच में कैसे मेडिकल की दुनिया में दवा ट्रायल के नाम पर एक षड्यंत्र रचा जाता है और कैसे इसमें सत्ता के बड़े ऑफिशियल्स से लेकर, मेडिकल दुनिया के धुरंधर शामिल होते हैं और फिर वह उस शहर और आम लोगों का क्या हश्र करते हैं। मेडिकल कैसे वरदान नहीं अभिशाप बनता है। जब इंसान और जानवर में सब फर्क मिट जाए, तब एक हैवानियत का खेल शुरू होता है, ऐसी हैवानियत की सच्ची दास्तां को प्रस्तुत कर रहा है वेब सीरीज ‘ह्यूमन’
और मेरे लिए यह कहानी इसलिए भी खास हो जाती है , क्योंकि इसमें मेरी बहुत ही पसंदीदा अभिनेत्रियों शेफाली शाह और कीर्ति कुल्हारी ने बड़ी ही संजीदगी से अपने-अपने किरदारों को निभाया है। स्क्रीन पर बिना लाउड हुए, बिना शोर किये व सहजता से कैसे अपने कैरेक्टर्स को अलग आयाम दिया जा सकता है, इसके लिए शेफाली और कीर्ति से ट्रेनिंग लेनी चाहिए।
क्या है कहानी
कहानी डॉ गौरी नाथ (शेफाली शाह) और डॉ सायरा ( कीर्ति कुल्हारी). डॉ गौरी अपने प्रतिष्ठित हॉस्पिटल ‘मंथन’ को एक नयी ऊंचाइयों पर ले जाना चाहती हैं। लेकिन बड़े-बड़े सम्मान जीतने वाली, लोगों का मसीहा बनने वाला यह हॉस्पिटल क्या वाकई में जरूरतमंद मरीजों के साथ है या फिर मुनाफे की लालच रखने वाले इस हॉस्पिटल के लिए, आम इंसानों की कीमत जानवरों से भी बदत्तर है। एस93आर दवा बनाने वाली कंपनी अपनी डूबती नैया पार लगाने के लिए, आम इंसानों की जान से खेल रही है और फिर मुआवजे के रूप में उन्हें कुछ भी नहीं दे रही है। इस नाइंसाफी के खिलाफ बुलंद आवाज़ बन कर डॉ सायरा उभरती हैं। क्या आम इंसानों को इंसाफ मिल पाता है। यह आपको इस दिलचस्प सीरीज देखने के बाद ही पता चलेगा
मुझे जो बातें सीरीज में बेस्ट लगीं
उलझी नहीं सुलझी कहानी
सीरीज की सबसे बेस्ट बात यह है कि यह सीरीज मेडिकल के तकनिकी पक्ष के मायाजाल में न तो खुद फंसती है और न ही दर्शकों को उलझाती है। फिल्म में निर्देशक की सोच एकदम स्पष्ट हैं। उन्होंने फोकस होकर, दवा के नाम पर मासूमों के साथ हो रहे अमानवीय पहलुओं पर फोकस किया है।
दमदार परफॉर्मेंस
शेफाली शाह और कीर्ति कुल्हारी की ये सीरीज अगर थियेटर में रिलीज होती तो मैं तो जोर-जोर से उनके परफॉर्मेंस पर सीटियां मारतीं। मुझे तो शेफाली शाह के पिछले कुछ सालों में, उन्होंने जितने भी परफॉर्मेंस दिए हैं, मैं तो एक दूसरे में से किसी की तुलना ही नहीं कर पाती हूँ कि उनमें से कौन से बेस्ट हैं। शेफाली हर किरदार में फ्रेशनेस लाती हैं। इस किरदार को तो उन्होंने और अधिक लेयर्स में निभाया है। मैं तो हर एपिसोड में उनके परफॉर्मेंस पर चौंक गयीं। और कीर्ति कुल्हारी ने भी तय कर लिया कि स्क्रीन स्पेस कम हो या अधिक वह अपना बेस्ट दिए बगैर नहीं मानेंगी।
पॉवरफुल महिला किरदार
मेरे लिए तो यह भी बेहद खुश होने वाली बात है कि वेब सीरीज के निर्देशक महिला किरदारों को अब पॉवरफूल बना रहे हैं, यह इसलिए भी एक पॉवरफुल सीरीज है।
किसी और थ्रिलर का हैंगओवर नहीं
अमूमन आजकल मैं जो भी सीरीज देखती हूँ, खासतौर से थ्रिलर शोज, उसमें कहीं न कहीं ऐसा महसूस होता है, ऐसा पहले कहीं देखा है। यह फीलिंग इस सीरीज में नहीं आई है। इसलिए लिए मैं दोनों निर्देशकों की तारीफ करना चाहूंगी।
फिल्म मेकिंग का ग्रामर है परफेक्ट
फिल्म मेकिंग के ग्रामर के लिहाज से भी मुझे सीरीज के लेखन, निर्देशन और खासतौर से सिनेमेटोग्राफी अप टू मार्क लगे हैं। यह सीरीज बिना अच्छी रिसर्च टीम के बननी मुमकिन नहीं थी, यह बात मैं दावे के साथ कह सकती हूँ।
और बेहतर होने की गुंजाइश
मुझे ऐसा लगा कि विशाल जेठवा ने अपनी पिछली फिल्म मर्दानी में काफी दमदार अभिनय किया था, उनके लिए और अधिक बेहतर किरदार लिखे जाते तो उनके परफॉर्मेंस में और निखार आता।