हाल ही में ओटीटी प्लैटफॉर्म्स और थिएटर्स पर काफी चर्चाएँ चल रही हैं। बहुत से लोगों का मानना है के डिजिटल प्लैटफॉर्म थिएटर्स को ओवरटेक कर लेगा। लेकिन एक्टर शरद केलकर का मानना है के भले ही डिजिटल प्लैटफॉर्म यहाँ रुकने के लिए है लेकिन थिएटर्स को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता है।
अभिनेता कहते हैं-
थिएटर्स को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता। एक बड़े स्क्रीन पर कुछ देखते हुए अनुभव को दोहराया नहीं जा सकता है। आपके फ़ोन, टीवी या लैपटॉप पर फिल्म देखने और सिनेमा हॉल में देखने के बीच बहुत अंतर है। कोई तुलना नहीं है।
फ़िल्म के अलावा, शरद कई वेब प्रोजेक्ट्स का भी हिस्सा रहे हैं, जैसे रंगबाज़ फ़िर से, स्पेशल ऑप्स, द फैमिली मैन, ब्लैक विडो और लक्ष्मी-दरबान (2020 दोनों)। वह वेब स्पेस का हिस्सा होने का आनंद लेते हैं, उन्हें लगता है कि थिएटर का अनुभव कुछ और है।
उन्होंने कहा
सिनेमाघर बने रहेंगे क्योंकि लोग अपने फोन पर कंटेंट देखने से ऊब जाएंगे और जाहिर है कि वे सिनेमाघरों में जाना चाहेंगे। वे वास्तविक बड़े स्क्रीन का एक्सपीरियंस लेना चाहेंगे।
जबकि दोनों माध्यम बहुत अलग हैं, शरद केलकर को लगता है कि दर्शकों के साथ-साथ अभिनेता भी दोनों माध्यमों का आनंद लेते रहेंगे। तो वे दोनों भी साथ मे बने रहेंगे।
अब, लोग ऑलरेडी सिनेमाघरों में वापस जाने लगे हैं। और शायद ’83 और सूर्यवंशी जैसी बड़ी फिल्मों की संख्या बढ़ती चली जाएगी, निश्चित रूप से अगर देश में कोविड-19 की स्थिति बेहतर हो जाती है। लेकिन ओटीटी नामक एक समानांतर दुनिया है, जो यहां रहने वाली है। वेब कंटेंट और फिल्मों में बहुत अंतर है। इसलिए दोनों माध्यम बचे रहेंगे और इससे मनोरंजन उद्योग का एक बड़ा भविष्य बनेगा, ऐसा अभिनेता शरद केलकर ने कहा ।